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भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

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जिंदगी की दौड़

दौड़ में दुनिया की ,
          सरपट दौड़ने लगे सभी ...
पूछने की एक सवाल,
          जरा फुर्सत ना मिली ..
के हम दौड़ क्यों रहे है, 
         जाना है कहा, है मंजिल किधर ..
क्या है हसरते दिल की ,
         क्या है ख्वाहिसे हमारी ...
दौड़ में दुनिया की,
        सरपट दौड़ने लगे सभी ...
एक पल ठहर कर कही,
        क्या खुद से पुछा है कभी ...
निकला था घर से,
        क्या तु है आज भी वही ..
पहचान खुद की भीड़ मे,
        खोने लगे है कही ..
खुद को ही जानने का,
       कभी वक़्त मिला नहीं ..
दौड़ में दुनिया की,
       सरपट दौड़ने लगे सभी ...

     -AC

अब और ना इन्तजार कर

उठा ले हथियार, अब तु वार कर  ...
ना और अब,  तु  इंतजार कर  ...
नहीं मानेगे वो, बातो से ...
भुत बने जो,  लातो के ...
एक बार तो  तु एलान कर ,
सबक  उन्हें     सीखादेगे ....
कश्मीर तो अपना ही  ठहरा ,
हम लाहोर पे तिरंगा लहरादेगे ...

47,65,71 और कारगिल वो भूल गये ..
अब उन्हें नयी तारीख याद करादेगे  ...
अपने घर से उसे  बहुत  भगाया ...
अब उसके घर से उसे भगा  देगे ...
उठा ले हथियार, अब तु वार कर  ...
ना और अब,  तु  इंतजार कर  ...

उठा ले हथियार, अब तु वार कर  ...
ना और अब,  तु  इंतजार कर  ...
सिर्फ नाम ही उसका पाक है ...
इरादे उसके बहुत नापाक है ...
अपना  जवाब उसे बताना है ...
उसकी औकात उसे दिखाना है ..

बात है आन, बान और शान की ...
बाज़ी लगनी  है, अब जान की ...
युद्ध   की  है,  अब   ये   घडी ..
सरकार क्यों है, ये चुप खड़ी ...

देश  की    अब  सुरक्षा  को ...
स्वाभिमान की अब रक्षा को...
हथियार अब तुम तान लो ...
बात आज तुम ये मान लो ...

सीने लिए हम भी अब तैयार है ..
अब  तो  बस  तु   वार  कर  ...
कुन्द हुए हथियार में अब धार कर ...
उठा ले हथियार, अब तु वार कर  ...
ना और अब,  तु  इंतजार कर  ...

 जय हिन्द ..

जवाब कब देगे ...

गाँधी के विचारो के सम्मान का मतलब ये नही ...
आजाद और  भगत से इरादे हम छोड़ दे ..
अहिंसा के है हम  पुजारी, इसका मतलब ये नहीं ..
सवाभिमान  से जीने के इरादे हम छोड़ दे ..
चाहते है अमन हम पडोसी से, इसका मतलब ये नहीं ...
अपने घर की सुरक्षा के इरादे हम छोड़ दे ...
         वक़्त नहीं अब खामोसी का ....
         वक़्त नहीं खोखले वादों का ...
         वक़्त है अब जांबाजी  का ...
         वक़्त है मजबूत इरादों का ...
जवाब अब भी ना दिया तो फिर यही दोहोरयेगे ....
फिर लेने जान हमारे जवानों की सीमापार से  आयेगे ...
कब तक हम ये आतंकवाद  यू ही सहते रहेगे ..
दोबारा किया तो कड़ा जवाब देगे, यू कहते रहेगे ...
कभी मुंबई तो कभी दिल्ली को उन्होंने दहलाया है ...
हर बार लेकर सैकड़ो जाने हजारो घरो को रुलाया है ...
           बस अब ना और सहेंगे ..
           अब तो जवाब जरुरी है ..
           अब तुम क्या  कहोगे ..
          हमारी क्या मज़बूरी है ...
शांति वार्ता बहुत हुई ,अब असल शांति जरुरी है ...
क्रिकेट बहुत हुआ हथियार उठाना अब मज़बूरी है ...
शहीद तो होते वैसे भी, लाखो हमारे जवान है ...
पर अब जरुरी मिटाना, पाक का नामोनिशान है ....
हिंदुस्तान खामोस बैठा, पर अब भी इसमें जान  है ...
कही समझ ना ले कोई के, कायर हिंदुस्तान है ...

-AC


इन्सान


कभी समझ  लेते  जुबान  ख़ामोशी की ...
कभी चीखे भी नहीं सुन पाता इन्सान ...
कभी न्याय की खातिर  लड़ता ...
कभी देख अन्याय बन जाता अनजान ...
कभी विरुद्ध  भ्रटाचार नारे लगाये ...
कभी रिश्वत से अपने काम करवाता ..
कभी समझ  लेते  जुबान  ख़ामोशी की ...
कभी चीखे भी नहीं सुन पाता इन्सान ...


-AC

Happy New Year


गत वर्षो की भाति इस वर्ष भी मध्यरात्रि  से  ही ..
बधाईयो    का     ताता    लगने     लगा ...
हर दिल में नया सवेरा     जगने    लगा ....
वैसे तो कुछ नहीं बदला    एक     रात में ..
फिर भी  दिलो  में   कुछ  नये एहसास है ...
बधाईयो     का       मतलब    ये     नहीं,
के सबके  घर   खुशियों से रोशन हो गये ...
या      भ्रष्ठाचार        कम         हो      गया,
या       अपराध    से   मुक्ति     मिल   गयी ...
बधाईयो     का   मतलब    ये   भी  नहीं,
के    इस     देश  का  चहुमुखी विकास हुआ ...
या     पट्रोल     का        दाम     कम    हुआ ..
या     महंगाई      पर    लगाम    लगी     है ...
या    बलात्कारियो   को    सज़ा   मिली   है ...
मगर      फिर       भी         बधाईयो     से ,
गत वर्षो की भाति कुछ नयी उम्मीदे जगी  है ...

समस्याए वही है , समाधान नहीं  है ..
फिर भी उन नयी उम्मीदों को सलाम ,
और बधाई नववर्ष की पुरे देश के नाम ...

wish you a very happy new year...

-AC

आखिर कब तक ...

जिंदगी मौत से हारी  ...
डर लगता है ,
जाने अब हो किसकी बारी ...
सोते सोते क्या वो ,
जागा गयी इस देश को ..
बस यही दुविधा है मन की ..
क्या अब कुछ बदलाव होगा ..
या बस सब यु ही खो जायेगा ..
फिर कही कुछ ऐसा होगा ..
और देश फिर हिल जायेगा ...
जिंदगी मौत से हारी  ...
डर लगता है ,
जाने अब हो किसकी बारी ...
आज कोई अनजाना था ..
जाने कब आ जाये अपनों की बारी ...
क्या तब जागेंगे हम ...
नहीं सह सकते अब ...
शासन परशासन तुम जगोगे कब ...
तुमको तो मिली सुरक्षा पूरी ...
मगर ये जनता क्या करे बेचारी ...
जिंदगी मौत से हारी  ...
डर लगता है ,
जाने अब हो किसकी बारी ...
-AC 

मै और वो ..

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan


मै और वो ..
मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
वो बालक छोटा सा नादान ....
वो छोटा बच्चा ,दिल का सच्चा ...
मगर जीवन की सच्चई से अनभिज्ञ ...
मै अनुभव के पिटरो में,
भूतकाल की पीड़ा को समेटे ...
      मै और वो ..
      मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
      वो बालक छोटा सा नादान ...
      आसमान में उमड़े बादल को देख ...
      वो भी समझा, मै भी जाना ...
      अब बारिश जम के बरसेगी ...
      वो मन में बहुत उत्साहित ,
      चहेरे पर छाई मुस्कराहट उसके ...
      मै सहमा घबराया सा ,
      मस्तक पर मेरे चिंता की रेखाये ..
मै और वो ..
मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
वो बालक छोटा सा नादान ..
वो कागज के टुकड़े ढूडता ..
आपनी नाव बनाने को ...
मै घास फ़ुस और तिनके ढूडता ..
अपनी छत बचाने को ...
      मै और वो ..
      मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
      वो बालक छोटा सा नादान ..
      वो खुश फिर पानी भरेगा,
      जिसमे वो आपनी नाव चलायेगा ..
      मै दुखी अगर पानी भरा अबके तो ,
      मेरा कच्चा घर ढह जायेगा ....
मै और वो ..
मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
वो बालक छोटा सा नादान ..

-AC 

वो छोटे बच्चे


सूरज आसमा से गायब था ....
चारो ओर धुंध का साया था...
गरम कपड़ो में लिपटे हुए ...
चाय की चुस्की लेकर ,
जैसे ही कुछ गरम पकोड़े खाए ....
खिड़की से बहार,सड़क के दुसरे किनारे पर ..
कुछ धूंदले से हिलते हुए चेहरे नजर आए ...
आँखों को गड़ाकर , धुंध के पर्दों के पार झाका ...

उस कडकती सर्दी में कुछ छोटे बच्चे ...
फटे हाल अर्ध नग्न अवस्था में ...
नंगे पाँव , कचरे के ढेर पर ...
पीठ पर कचरे का बोरा ...
हाथ कचरे के ढेर से कचरा बिनते ...
ठंडी हवाओ से जूझते ..
दो वक़्त की रोटी की तलाश में ...
दिन भर सड़क पर भटकते वो छोटे बच्चे ...

साँझ को ऑफिस से वापस आते ..
घर को जाने की जल्दी में  ..
फिर सड़क के किनारे फूटपाथ पर ...
एकाएक अपनी ओर धयान खीचते ...
वही कचरा बिनने वाले छोटे बच्चे ...

शिक्षा से दूर ,सड़क पर भटकने को मजबूर ..
विकास के वादों को ठेंगा दिखाते ...
सर्वशिक्षा अभियान  को भी झूठा बताते ...
दिनभर कचरे के ढेर पर बिताकर ....
साँझ को सड़क के किनारें बने फूटपाथ पर ...
खुले आसमान के साये में ...
सिकुड़ कर एक छोटे से कम्बल के टुकड़े में ...
सोने की कोशिश करते, सुबहे के इन्तजार में ...
सड़क पर रात बिताने को मजबूर वो छोटे बच्चे ...


दिन भर की थकान से चूर ..
नाईट बल्ब की हलकी रोशनी में ...
सोने के लिये जैसे ही आंखे बंद की ...
फिर से आँखों के सामने आते ...
कचरा बिनने के लिए भटकते वो छोटे बच्चे ..
अंतरात्मा को झंझोड़ते, सोचने पर मजबूर करते ..
किस जात के है ये, क्या धर्म है इनका ...
क्यों नहीं कोई नेता आता ....
इनके लिये कोई आरक्षण क्यों नहीं मागता ...
कोई इन्हें वोट बैंक क्यों नहीं बनाता  ....
क्यों नहीं किसी को याद आते ...
इसी देश के नागरिक वो छोटे बच्चे ...



एक सवाल

एक बार फिर जनता सडको पर है ...
एक बार फिर दिलो में आक्रोश  है ...
मुद्दा अलग है ,पर सवाल वही है ...
आखिर हो क्या रहा है ...
आखिर हमारी सरकार कर क्या रही है ...
किस मुह से ये नेता वोट मागते है ....
जनता को शौक नहीं है सडको पर आने का ....
वो तो चैन से अपने घरो मे रहना चाहती है ..
मगर वो चैन है कहा ....

हर बार, बार बार ,जनता कब तक चिलाएगी ...
क्या हमारा शासन प्रसाशन कभी जागेगा ...
क्या उन्हें देश की कोई चिंता है ...
हर बार एक नये आश्वाशन के साथ ...
जनता अपने घर चली जाएगी ...
समाधान के इंतजार में ....
एक सवाल के साथ ...
आखिर कब तक ...
कब तक यही चलता रहेगा ?????

-AC

जिंदगी एक कहानी...

जिंदगी एक कहानी...
लहरों मे फसी  कश्ती...
 उससे  टकराता पानी ...
जिंदगी एक कहानी।
             मंजिल किनारा , साहरा पानी...
             बीच मझदार डुबाता पानी ...
             लहरों मे फसी  कश्ती...
              उस से  टकराता पानी ...
लहरे आती है , फिर वही समाजाती है...
उनसे लड़ना और आगे बढ़ना ..
जिंदगी की यही रवानी ..
जिंदगी एक कहानी।
             हमसफ़र है तेरा कोई ...
             तो तू  बड़ा खुसनसीब है....
            है तन्हा तो ये तेरा नसीब ..
           पर तुझको भी ये है जिंदगी बितानी...
           जिंदगी एक कहानी।
जाने कौनसी लहर उठकर  ये कश्ती डूबा दे...
जाने कौनसी लहर मोतियो की बौछार ला दे ..
बस यही सोच कर हर लहर है अपनानी ..
 जिंदगी एक कहानी।

लहरों मे फशी कश्ति..
 उस से  टकराता पानी ...
जिंदगी एक कहानी।


AC

राजनीती का सच


इलेक्शन का जोर था ..
चारो ओर नेताओ का शोर था ...
हर तरफ नेताओ क बेंनर व झंडे थे...
वोट माग रहे थे वो जिनके हाथो  में  बड़े बड़े डंडे थे ...
इसे  में मेरे भी मनं में नेता बनने का ख्याल आया ...
मैंने एक धुरंदर नेता को अपना गुरु बनाया ....
गिरकर चरणों में मैंने कहा ...
गुरुवर सिखाओ हमे भी राजनीती का गुण...
बन क नेता हम भी कमाए जनसेवा का पुन...
सुन इतनी बात वो मुझपर चिलाये...
बनना है नेता तो जनसेवा को भूल जाओ...
ओर करनी है जनसेवा तो राजनीती से दूर जाओ ....
मैने कहा माफ़ करो सरकार ....
सिखाओ राजनीती करो मुझ पर उपकार....
शांत हो गुरूवर बोले-
बेटा बनना है नेता तो मान मेरा कहना...
सच्चाई  ईमानदारी को भूल जाओ ...
झूट ओर बईमानी से हाथ मिलाओ...
भूल कर भी कभी सच ना कहना...
झूटे वादे करना बड़े बड़े ...
दे कोई गाली तो सुनना चुपचाप खड़े खड़े ...
मगर जीतने के बाद जनता क सामने न आना...

मगर गुरूवर ऐसे मिले तो में अगला इलेक्शन हार जाउगा..

नहीं बेटा अगली बार फिर से नए वादे लाना ...
अपने में अच्छाई न  मिले तो विपक्षी की कमिय बताना....

और फिर भी काम न चले तो ...
दारू , रुपीये और डाँडो से वोट कमाना ...
और फिर से जीत जाना ...
और फिर से जीत जाना ...

AC

azadi ki nayi jang

अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
उठो देश के नौजवानों..
अपनी शक्ति को पहचानो..
बदल  रहा  है  देश ये  आपना …
तुम  भी  इसमें  साथ  निभाओ …
हमने  ना   देखी  जंग   आज़ादी  की …
हमने ना देखा  गाँधी  को…
लोकपाल   की जंग  है देखी …
हमने तो  देखा अन्ना  की अंधी  को…
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
जात  पात  के टूटे बंधन …
सबको  दिखता  बस  एक  वतन …
भरष्ठाचार   से  पानी  मुक्ति …
लोक पाल दिकती एक युक्ति …
जुड़  गये  अब  लोग  है सारे ..
हिल  गयी  है अब ये सरकारे …
आओ  हम  सब  भी मिल  कर  एक नया  आगाज़  करे ….
जनहित  के  इस  आन्दोलन  में  अपना सहयौग आज  करे …
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
AC

hope to win...


                    A ray of hope...

              gives u lot of scope....

                     hope is the key.....
          which convert u and me, in to V ....

                  if u have hope...
                          u can rock....

                       hope is the air....
                    which make us fly...

                      hope hope hope.....
                      success nonstop....

                        hope is a path...
                       its a shower' s bath...
                         it gives u all d tool....
                       makes u super coool.....


                            so hope is jaruri.....
                   it makes all ur wishes puri...

2.world cup 2011
खेलो  रे जी जान से खेलो रे ....
जीत लो हर बाज़ी को जीत लो रे अब जीत लो रे ....
खेलो रे जी जान से खेलो रे ....
बढ़ाना है अब शान  से ....
दोरहना है फिर इतिहास को ...
लहराना है तिरंगे को एक बार फिर....
बस जीत लो हर बाज़ी को जीत लो रे ...
दिखाना है अब दुनिया को....
जीतना है हर बाज़ी को अब हमे .....
जीत लो जीत लो जीत लो रे ............

इंडिया इंडिया इंडिया आआआआआआआआआआआआ जीत लो


जीवन

जीवन एक संगर्ष है..
संगर्ष ही जीवन है....…
हमको तो आगे बढना है.. 
हर मुस्किल से लड़ना है...
झुकाना नहीं रुकना नहीं....
हमको अब थकना नहीं...
वाव्धाये  हो  बधए   हो …
सबको हमे हराना है …
कष्टों की अंधी आये....
 या दुखो  का पहर गिरे ….
मंजिल को हमे पाना है..
हमको तो बड़ते जाना है...
रहा है कठिन बहुत  ….
मंजिल भी अभी दूर है...
पर पायेगे मंजिल को ...
इतनी तो हम में ताकत है 
लड़कर  हर कठनाये से  उनको हमे  हराना  है  …
मंजिल को तो पाना है....
जीवन के इस संगर्ष को..
 अब तो गले लगाना है...
अब  तो चलते जाना है ...


AC

हम सब है भारतवाशी


तू बंगाली, मै गुजरती ..
तू मराठी, मैं बिहारी ...
क्यों टुकडो में बट गयी ये भारत की जनता प्यारी ...
एक माँ है भारती ...
एक धर्म है हिंदुस्तानी ....
भाई भाई की जान का प्यासा ...
खून बहाते जैसे पानी ...
कोई जरा इन्हें समझाये .....
आईना सच का इन्हें दिखाये ...
क्यों ये झूठ के जाल में फसे ...
बन कटपुतली हाथो की इन नेताओ के ...
क्यों ये अपनों का खून बहाए ....
अब तो जागो ,समझो मेरे प्यारे देश के लोगो ....
यूँ ना इस भारत माँ को बाटो .....
तुम भी हो लाल इसके .....
वो भी है लाल इसी के ...
यूँ ना अपने ही भाई का सिर काटो ...
ना तू बंगाली ..ना मैं गुजरती ....
ना तू मराठी ..ना मैं बिहारी ...
सब से पहले हम सब है भारतवाशी ...

-AC

नवयुग

"नव  भारत  के  निर्माण  को …
नवयुग   के आगाज   को …
अब  कुछ  कर  दिखाना  है …
फिर  एक  धर्म  युद्ध  अब  लड़ना  है…
फिर एक बार  अपने   है विरुद्ध  हमारे …
इस  बार बिना  हथियार  ..एक नया  महाभारत  होना  है…
स्वयं  अर्जुन स्वयं  बन  कृषण, गीता  को अब दोहोराना  है…
नव भारत के निर्माण को…
नवयुग  के आगाज को…
अब कुछ कर दिखाना है…
तुम  भी  चलो , हम  भी चले ..ना  तुम  रुको , ना  हम थके …
मुश्किल  आएगी  पर  ना हम रुके …
 ववधाये हो , बाधाये   हो , सर  कटे , पर ना झुके …
अब हमको  बढ़ते  जाना  है…
दुनिया  को अब दिखाना है…
नव  भारत  के  निर्माण  को …
नवयुग  के आगाज   को …
अब  कुछ  कर  दिखाना  है …
"
AC