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भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

azadi ki nayi jang

अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
उठो देश के नौजवानों..
अपनी शक्ति को पहचानो..
बदल  रहा  है  देश ये  आपना …
तुम  भी  इसमें  साथ  निभाओ …
हमने  ना   देखी  जंग   आज़ादी  की …
हमने ना देखा  गाँधी  को…
लोकपाल   की जंग  है देखी …
हमने तो  देखा अन्ना  की अंधी  को…
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
जात  पात  के टूटे बंधन …
सबको  दिखता  बस  एक  वतन …
भरष्ठाचार   से  पानी  मुक्ति …
लोक पाल दिकती एक युक्ति …
जुड़  गये  अब  लोग  है सारे ..
हिल  गयी  है अब ये सरकारे …
आओ  हम  सब  भी मिल  कर  एक नया  आगाज़  करे ….
जनहित  के  इस  आन्दोलन  में  अपना सहयौग आज  करे …
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
AC

hope to win...


                    A ray of hope...

              gives u lot of scope....

                     hope is the key.....
          which convert u and me, in to V ....

                  if u have hope...
                          u can rock....

                       hope is the air....
                    which make us fly...

                      hope hope hope.....
                      success nonstop....

                        hope is a path...
                       its a shower' s bath...
                         it gives u all d tool....
                       makes u super coool.....


                            so hope is jaruri.....
                   it makes all ur wishes puri...

2.world cup 2011
खेलो  रे जी जान से खेलो रे ....
जीत लो हर बाज़ी को जीत लो रे अब जीत लो रे ....
खेलो रे जी जान से खेलो रे ....
बढ़ाना है अब शान  से ....
दोरहना है फिर इतिहास को ...
लहराना है तिरंगे को एक बार फिर....
बस जीत लो हर बाज़ी को जीत लो रे ...
दिखाना है अब दुनिया को....
जीतना है हर बाज़ी को अब हमे .....
जीत लो जीत लो जीत लो रे ............

इंडिया इंडिया इंडिया आआआआआआआआआआआआ जीत लो


जीवन

जीवन एक संगर्ष है..
संगर्ष ही जीवन है....…
हमको तो आगे बढना है.. 
हर मुस्किल से लड़ना है...
झुकाना नहीं रुकना नहीं....
हमको अब थकना नहीं...
वाव्धाये  हो  बधए   हो …
सबको हमे हराना है …
कष्टों की अंधी आये....
 या दुखो  का पहर गिरे ….
मंजिल को हमे पाना है..
हमको तो बड़ते जाना है...
रहा है कठिन बहुत  ….
मंजिल भी अभी दूर है...
पर पायेगे मंजिल को ...
इतनी तो हम में ताकत है 
लड़कर  हर कठनाये से  उनको हमे  हराना  है  …
मंजिल को तो पाना है....
जीवन के इस संगर्ष को..
 अब तो गले लगाना है...
अब  तो चलते जाना है ...


AC

हम सब है भारतवाशी


तू बंगाली, मै गुजरती ..
तू मराठी, मैं बिहारी ...
क्यों टुकडो में बट गयी ये भारत की जनता प्यारी ...
एक माँ है भारती ...
एक धर्म है हिंदुस्तानी ....
भाई भाई की जान का प्यासा ...
खून बहाते जैसे पानी ...
कोई जरा इन्हें समझाये .....
आईना सच का इन्हें दिखाये ...
क्यों ये झूठ के जाल में फसे ...
बन कटपुतली हाथो की इन नेताओ के ...
क्यों ये अपनों का खून बहाए ....
अब तो जागो ,समझो मेरे प्यारे देश के लोगो ....
यूँ ना इस भारत माँ को बाटो .....
तुम भी हो लाल इसके .....
वो भी है लाल इसी के ...
यूँ ना अपने ही भाई का सिर काटो ...
ना तू बंगाली ..ना मैं गुजरती ....
ना तू मराठी ..ना मैं बिहारी ...
सब से पहले हम सब है भारतवाशी ...

-AC

नवयुग

"नव  भारत  के  निर्माण  को …
नवयुग   के आगाज   को …
अब  कुछ  कर  दिखाना  है …
फिर  एक  धर्म  युद्ध  अब  लड़ना  है…
फिर एक बार  अपने   है विरुद्ध  हमारे …
इस  बार बिना  हथियार  ..एक नया  महाभारत  होना  है…
स्वयं  अर्जुन स्वयं  बन  कृषण, गीता  को अब दोहोराना  है…
नव भारत के निर्माण को…
नवयुग  के आगाज को…
अब कुछ कर दिखाना है…
तुम  भी  चलो , हम  भी चले ..ना  तुम  रुको , ना  हम थके …
मुश्किल  आएगी  पर  ना हम रुके …
 ववधाये हो , बाधाये   हो , सर  कटे , पर ना झुके …
अब हमको  बढ़ते  जाना  है…
दुनिया  को अब दिखाना है…
नव  भारत  के  निर्माण  को …
नवयुग  के आगाज   को …
अब  कुछ  कर  दिखाना  है …
"
AC