Featured post

भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

poem लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
poem लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

Who will win election

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan

व्यंग्यात्मक कविता "कौन बनेगा प्रधान"


कौन बनेगा प्रधान
अटकी सबकी जान
सारे पासे फेक दिये, पर
वोटर, नही रहा है मान।
अटकी सबकी जान , भईया
अटकी सबकी जान
कौन बनेगा प्रधान
घर - बार कही दाव पर है,
कही दाव पर शान
जीवन भर जो रहे लुटते, 
आज मांग रहे, वोट का दान।
अटकी सबकी जान, भईया
अटकी सबकी जान,
कौन बनेगा प्रधान
बैनर- पोस्टर लगवा दिये है,
आध्धे- पव्वे बटवा दिए है,
पर जनता के मन मे है क्या,
नही पा रहे जान , ओ भईया
कौन बनेगा प्रधान
गुना भाग सब लगा लिये है,
रिश्ते नाते सब जोड़ लिए है
लिया जीत का थान,
फिर भी गले मे अटकी जान।
कौन बनेगा प्रधान, भईया
कौन बनेगा प्रधान
सबके दावे अपने -अपने
नही रहा कोई, किसी की मान
खाने वाले,  सबका खाते
पी के सबकी नारे लगाते,
बैठ पास गाते है, गुनगान।
अटकी सबकी जान , भईया 
कौन बनेगा प्रधान
जन सेवा का धंदा बनाके,
चुनाव से पहले खूब लुटाते,
हाथ पैर सब जुड़ जाते।
जीत चुनाव फिर लूट के खाते,
काम ना ये कुछ सही करवाते।
बस इसीलिए,  भटके प्राण।
अटकी इनकी जान , के भईया
कौन बनेगा प्रधान
कौन बनेगा प्रधान
-AC




Truth of life ,जीवन का सत्य बताती एक कविता, मैं बैठा गंगा के तट पर

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan


जीवन का सत्य बताती एक कविता 


मैं बैठा गंगा के तट पर
सोच रहा जीवन है क्या।
कल कल करता बहता ये जल
कहता बस एक ही बात।
जो कल था वो आज नही
जो आज यहाँ वो कल खो जाता।
पर ये गंगा का तट वहीँ
रहती गंगा की धार वही।।
क्या खोया क्या पाया जग में
सब कुछ यही  धरा रह जाता।
गौमुख से चलकर, गंगासागर में मिल जाना 
फिर मेघो के पंखों पर चढ़कर ,नया जन्म है पाना।
चक्र यही है जीवन का भी 
जो  बस यूं ही चलते  है जाना ।
मैं बैठा गंगा के तट पर
सोच रहा जीवन है क्या।
झूठ सच की गठरी बाँधी।
सोने चांदी के ढेर लगाए।।
मैं मै कर माया जोड़ी ।
साथ न जाये फूटी कौड़ी।।
घोड़ा गाड़ी महल दुमहले ।
सब पीछे रह जाता है
भाई बंधु रिश्ते नाते
साथ कोई ना जाता है।
क्या खोया क्या पाया जग में
सब कुछ यही  धरा रह जाता है।
मैं बैठा गंगा के तट पर
सोच रहा जीवन है क्या।

-AC




ईश्वर स्तुति प्रार्थना

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan



         घोर अंधेरा छाया मन पर ,  प्रभु इसे हटाओ।
         माया जाल है कैसा फैला , प्रभु इसे मिटाओ।।

भोग विलासिता में फस कर, जीवन अधोगति में जाता।
पशुवत जीवन जी रहे है , नही मुक्ति मार्ग सुझाता ।।

          घोर अंधेरा छाया मन पर ,  प्रभु इसे हटाओ।
          माया जाल है कैसा फैला , प्रभु इसे मिटाओ।।

    दर्शन के अभिलाषी नयना, कभी तो रूप दिखलाओ।
    कण कण में है वास् तुम्हारा ,कभी तो सम्मुख आओ।

          घोर अंधेरा छाया मन पर ,  प्रभु इसे हटाओ।
           माया जाल है कैसा फैला , प्रभु इसे मिटाओ।

    हे सर्वज्ञ,  मैं अल्पज्ञ , मुझे ज्ञान मार्ग दिखलाओ।
   जिस मार्ग पर भेंट हो तुमसे मार्ग वो बतलाओ।।

         घोर अंधेरा छाया मन पर ,  प्रभु इसे हटाओ।
          माया जाल है कैसा फैला , प्रभु इसे मिटाओ।।


-AC

राजनीति , जनता और मेरा भारत

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
 राजनीति , जनता और मेरा भारत 


देख  के  तेरी हालत , आँखों से आसू बहते है। … 
चुप चाप बैठे घरो में हम , सब कुछ  सहते जाते है। । 
अन्नदाता तेरी  धरती का -2 ,  भूख से यहाँ पे मरता है। … 
महल बनाने वाले मजदूर यहाँ, बिन छत के रात बिताते  है 
चुप चाप बैठे घरो में हम , सब कुछ  सहते जाते है। ।
                     
आबरू  बेटी की यहाँ सडको पे लुटी जाती है… 
गुनेह्गारो की भी यहाँ पर, जाति पूछी जाती है। । 
देश  का  बच्चा  यहाँ , बीमारी  से  मरता है।  …. 
और आतंकी यहाँ मुफ्त इलाज करवाने  आते  है। । 
चुप चाप बैठे घरो में हम, सब कुछ  सहते जाते है। ।

चुनाव का आये मौसम तो, नेता यहाँ मंडराते है। … 
नये नये घोषणाओ  के पिटारे, खुलते जाते है। … 
बयानों की नदिया में ये  सब , देशभक्त बन जाते है।
जीत कि खातिर हथकंडे ये, नये नये अपनाते है 
झूठ के बांध पुलिंदे ,-2 जनता को मुर्ख बनाते है. 
चुप चाप बैठे घरो में हम, सब कुछ  सहते जाते है।।

पहन चोला आम आदमी का, जनता को मुर्ख बनाते है। 
कोई अपना हाथ,  आम आदमी के साथ बताते है। 
चोर चोर चिल्ला के ये,  जनता को उल्लू बनाते  है। 
मीडिया से करके सेटिंग,  हीरो खुदको बनाते है। 
जनता को करके भ्रमित ये, वोट  हमारे पाते  है। 
चुप चाप बैठे घरो में हम सब कुछ  सहते जाते है।।

कर के  वादा आरक्षण का, जातियो को साथ ये लाते है। 
कभी मुफ्त लैपटॉप , टीवी , जाने क्या क्या दे जाते है। 
फिर  बना  सरकार  ये , देश  को   लूट   के   खाते  है
चुनाव   में  इनके   माया जाल  में,  हम फंस   जाते है      ,
फिर महगाई और देख भ्रस्टाचार ,  बहुत हम पछताते  है.
चुप चाप बैठे घरो में हम, सब कुछ  सहते जाते है।।

-AC

वीरो के बलिदानों को समझे

                                                     2.वीरो के बलिदानों को समझे

जो  तन   मन  से  हुए  गुलाम ।
वो वीरो के बलिदानों को क्या समझेगे।।
स्वीकार की जिन्होंने दस्ता मुगलो की ।
वो पद्मावती के जौहर को क्या समझेगे।।
चंद रुपियो में बिकने वाले।
शौर्ये और स्वभिमान को क्या समझेगे।।
विरोधी नही किसी नेता और अभिनेता के।
मगर वीरो के बलिदानों का अपमान नही सहेंगे।।
वीरो के लहू से सिंचित ये भारत भूमि।
इस भूमि के वीरो का उपहास नही सहेंगे।।
पुरखो ने तुम्हारे झुकाकर सर अपना सुख बचाया।
वीरो ने कटा कर सर, अपना स्वाभिमान बचाया।।
रक्त शिराओ में हमारी भी बहता है उन वीरो का।
स्वाभिमान की रक्षा को प्राण न्यौछावर से भी नही डरेंगे।।
चंद रुपयों की खातिर जो माँ को भी गली दे देते है।
क्या वो अब हमें इतिहास का पाठ पढ़ाएंगे।।
किताबो के पन्नो की मोहताज नही वीरो की गाथायें।
राष्ट्रभक्तो के रोम रोम में बसी साहस अदम्य की शौर्ये कथाएँ।।
राष्ट्र की खातिर अपने बेटों को कुर्बान करने वाली माताओ की गौरव गाथाएँ।
सत्ता की खातिर अपने बापो को नजरबंद करने वालो के वंसज क्या समझेगे।।
माना के तुमने खूब पसीना बहा एक फ़िल्म बनाने में।
मगर उन वीरो ने अपना रक्त बहा ये राष्ट्र बनाने में।
चंद रुपयों की खातिर घटिया काम ना करो।
वीरो का इस भारत भूमि के तुम अपमान ना करो।




मेरी प्यारी माँ


कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan

माँ ओ माँ ओ प्यारी माँ।
तू जननी तू पालनकर्ता,
तू ही है सब कर्ता धर्ता।।
सबसे पहले तुझको जाना।
तेरी नजरो से फिर ये , जग जाना।।
तुझसे ही पहला, निवाला पाया।
तुझसे ही  जग  में  आया।।
तू माँ , तू अम्बा , तू ही जगदम्बा।
तू ही दुर्गा , काली , जवाला।।
पहला ज्ञान भी तुझसे पाया।
पहला मान भी तुझसे पाया।।
कड़ी धूप या ठंडी छाँव।
तूने ही तो आँचल में छुपाया।।
हर खुशी कर दी तूने न्यौछावर।
हर दर्द तूने अपने,  दिल मे दबाया।।
खुद रहकर भूखे भी तूने।
बच्चो को भर पेट  खिलाया।।
तुझको क्या  हम दे पाएंगे।
कर्ज तेरा कहाँ  चुका पाएंगे।।
तुझसे  ही  पाया  ये  मन।
तुझसे ही तो पायी है काया।।
सांस भी तेरी, प्राण भी तेरे।
सब कुछ मेरा, है  तेरा ही तो  ।
क्या मै तुझको अर्पण कर दू।
तू ही बता ओ. मेरी प्यारी माँ।
माँ. ओ.. माँ ओ मेरी प्यारी माँ।।
मेरी प्यारी माँ


Train rail or derailed

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
Train rail or derailed

छुक छुक छुक रेलगाड़ी।
दौड़ी दौड़ी सरपट दौड़ी रेलगाड़ी।।
खुशियो की ये रेलगाड़ी , रेलगाड़ी।
दौड़ी दौड़ी सरपट दौड़ी रेलगाड़ी।।
अपनो को ये अपनो से मिलती।
खुशियो को ये पास लाती।।
छुक छुक करती जाती।
दूर दूर की सैर कराती।।
अहा ये क्या क्यो रोक गयी ये रेलगाड़ी।
बिखरे डब्बे जैसे ताश के पत्ते।।
लहू लुहान इतने क्यो सब हुए।
रोते बच्चे दर्द से करहाते लोग।।
किसकी ये गलती किसका है दोष।
मंत्री , अफसर या कर्मचारी।
किसकी  है  ये  जिम्मेदारी।।
है भूल या कोई साज़िश।
या तंत्र की लापरवाही।।
कौन सुनेगा किसे सुनाये।
दर्द अब अपना किसे बताये।
जाँच होगी , मुआवज़ा मिलेगा।
लेकिन बिछड़ा अपना वो कहा मिलेगा।।
प्रभु तेरे भरोसे थी एक उम्मीद जगाई।
तूने भी प्रभु भरोसे छोड़ दी रेल भाई।।
माना तूने जी जान लगाई।
मगर न बदल सका स्तिथि तो।
तो किस काम की वो है

-AC

Dhram , धर्म

जो दयाभाव सिखलाता है, धर्म वही कहलाता है,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
सबरी के खा के झूठे बेर , भक्त्त  का मान बढ़ाता है ,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
विष का पीकर प्याला जो , दुनिया को बचाता है ,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
सर्वेः भवन्तुः सुखिनः का जो भाव मन में जगाता है ,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
गीता का देकर ज्ञान जो, कर्म का पाठ पढ़ाता है ,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
सारी दुनिया को मान के अपना, वसुदेवकुटंबकम् बतलाता है,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
मुरली की जो छेड़ के तान , प्रेम का राग सुनाता है ,
धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
जो दयाभाव सिखलाता है, धर्म वही कहलाता है,
जी धर्म वही कहलाता है, जी धर्म वही कहलाता है। 
feedback

VOTE For India,

घोटालो का लगा अम्बार, 
 सोयी रही देश की सरकार।। .

बेरोजगारी ने उड़ाये होश,
सरकार का है युवा जोश।।

इकोनोमी की हालत पतली ,
ये  कहे   हर  हाथ  तररकी।।

महँगाई     की    पड़ी  ऐसी   मार ,
के जन जन को छुआ जनजीवन बदला। । 

आत्महत्या करता  देश का  किसान ,
 सरकार बोले हो रहा भारत निर्माण।। 

खोल दिए घोषणाओ के पिटारे,
घर घर आयेगे अब  ये सारे।।

धर्मनिरपेक्षता का ओढ़ के चोला ,
चेहरा  बनाया   कितना  भोला।।

ये नहीं  है  कोई  एक, 
रूप धरे है इसने अनेक।।

अब भी ना जगा देश तो,
फिर  बहुत   पछतायेंगे।।

विकास की दौड़ में ,
बहुत पीछे रह जाएगे।।

-AC

जन्मदिवस पर श्री अटल बिहारी वाजपयी जी को समर्पित

सत सत नमन तुझको अटल ..
विकासपुरुष है तू अटल ...
सोच अटल इरादे अटल ...
देश का सच्चा लाल है तू अटल ...

       बेशक गुमनामियो है तू आज अटल ...
       मगर आज भी दिलो  पर है तेरा राज अटल ....
       करोड़ो दिलो की है तू आश अटल ...
       तू ना सही तुझसा कोई फिर आए कोई काश अटल ...

शुभकामनाए देश की तेरे साथ अटल ...
युगो युगो तक तू जिये अटल ...
पुरे देश की तू शान अटल ...
है देश का तू अभिमान अटल ...
सत सत नमन तुझको अटल ...
-AC 

why ? communal riot...हम सब एक है


एक सवाल करता है मुझे परेशान। …. 
भगवान ने बनाया था हमे इन्सान। …. 
और हम बन के रह गये।,हिन्दू और मुसलमान। …. 
खेल रहे है हम जाने क्यों ये खून की होली। … 
चला रहे है अपनों पर ही हम डंडे और गोली। … 
कब तक हम यु टुकडो में जीते रहेगे। … 
जहर नफरत का हम पीते रहेगे। … 
कब निकलेगा वो सूरज। … 
कब आयेगा वो सवेरा। … 
जब कुछ ना होगा तेरा ,ना कुछ होगा मेरा। … 
हम भाई बनकर आगे बढेगे। …. 
हम आपस में नहीं ,
गरीबी और बेरोजगारी से लड़ेगे। … 
हर कदम साथ साथ आगे बढायेगे। … 
इस वतन को विकास के पथ पर ले जायेगे। … 
हर बैनर झंडे छोड़ कर , एक तिरंगा लहरायेगे। … 
सब नारों को भूल कर गायेगे एक नारा। …. 
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। … 
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। … 

-AC

natural disaster प्रकृति और इन्सान

कभी सूरज आग उगले ....
धरती के सिने में पड़े दरारे ...
बूंद बूंद को इंसान तरसे ...
कभी जमके पानी बरशे ...
उफानो पर हो जाये नदिया ...
ले जाये बहा के सारी खुशिया ....

क्या प्रकृति का है ये रौद्र रूप ...
या इंसान की है कोई भूल ...
शक्ति परीक्षण है ये कैसा ?....
कैसा प्रकृति और इन्सान का ये द्वन्द ...
घटते जंगल कटते पहाड़ ....
प्रकृति से ये छेड - छाड़ ...
है विकास या है विनाश ....

-AC

Save water save life, रहिमन पानी राखिये


सूरज आग उगल रहा था ...
धरती के सीने पर दरारे थी ...
उस किसान की आँखों में हज़ार सवाल थे ...
कही इस बार उसकी बारी तो नहीं ...
घर गिरवी रखकर जो क़र्ज़ उठाया था,
कही वो उसे बेघर ही ना कर दे ...
जैसे तैसे बिना घर के तो गुजारा  हो जायेगा ,
मगर बिना बारिस के आनाज कैसे होगा ...
बिन रोटी के गुजारा कैसे होगा ???

और  दूसरी तरफ गर्मियों की छुट्टिया ...
इस बार खूब मस्ती करेगे खूब मौज उडायेगे ...
वाटर पार्क में अपने बच्चो को ले जाता वो अमिर इन्सान ...
पानी की ठंडी बोछार ...पीने को मिनरल वाटर ...
ना खाने की चिंता ना पानी की फिकर ...
खूब पानी में खेलो खूब मज़े उडाओ ...
जितना चाहों उतना  पानी बहाओ ...

और उधर गर्मी में पीने के पानी को तरसते लोग ...
कभी मिलों दूर से पीने का पानी लाते ....
कभी एक बाल्टी पानी को मिलों लाइन लगाते ...
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ......
छोटी सी बात एक बड़ा सवाल ...


"रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून ...
पानी गये ना उबरे, मोती मानस चून ..."

blast, दर्द -ए -लाचारी

       फिर कही से धमाके की आयी है आवाज ...

देखो फिर नींद से जागे नेता जी है आज ...

कौन मरा ... कहां मरा...कितने मरे ..

क्यों तुम यु हाय तौबा मचाते हो… 

क्यों नहीं अपने घर में चुप बैठ जाते हो ...

जाँच कमेटी बना दी है, वो अपना काम करेगी ...

क्यों तू अब तक यहां खड़ा है ..

क्या तेरा भी कोई यहाँ मरा है ....

ले पकड तीन लाख तू भी और घर में आराम कर ...

नेता जी आये है दौरे पर,  सब संभाल लेंगे ...

इस बार फिर कोई नया बयान देंगे ...

पडोसी मुल्क का हाथ लगता ...

आतंकवाद का कोई धर्म नहीं ..

आप संयम बनाये रखे ...

हम जवाब देंगे ...

दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी ...

अब ऐसे हमले बर्दाश नहीं होगे ...

ठीक है या कोई नया बयान भी दे ...

कृपया मीडिया मुद्दे को हवा ना दे  ...

हर घटना को रोका नहीं जा सकता ...

जांच जारी है, आप प्रतीक्षा करे ...

कुछ दिन जनता चलाएगी ...

नेता जी की नींद उड़ाएगी ...

फिर नए धमाके के डर को समेटे ...

सब भूल जाएगी ...

नेता जी भी फिर से  सो जायेगे ...

नये धमाके पर फिर सब याद आयेगे ....

फिर आसू नयी आँखों में अपना घर बनाएंगे ..

फिर जाने किसके अपने ,अपनों से दूर जायेंगे ...

सरकार किसकी भी हो चाहे ..

नेता जी मुआवजा देने जरुर आयेगे ...