नई सरकार और नए प्रधानमंत्री ने एक उमीद जगाई थी नए भारत की मगर ऐसे तो भारत नया नही बन पाएगा और ना ही सिर्फ शौचालय बनाने से स्वच्छ भारत भी नही बन पाएगा।
एक बात और जानने की जरूरत है क्यो स्वच्छ भारत अभियान के लिये गांधी जयंती को ही चुना गया । क्योंकि गांधी जी शायद स्वच्छ्ता के बड़े पुजारियों में से एक है उन्होंने हमेशा राष्ट्र को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने का प्रयाश किया। गाँधी जी ने हमेशा से ही स्वच्छ्ता के महत्व को समझाने का प्रयास किया उन्होंने आजीवन स्वछता के महत्व को समझाया.
भारत में गांधीजी ने गांव की स्वच्छता के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से पहला भाषण 14 फरवरी 1916 में मिशनरी सम्मेलन के दौरान दिया था।
उन्होंने वहां कहा था ‘देशी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा की सभी शाखाओं में जो निर्देश दिए गए हैं, मैं स्पष्ट कहूंगा कि उन्हें आश्चर्यजनक रूप से समूह कहा जा सकता है,गांव की स्वच्छता के सवाल को बहुत पहले हल कर लिया जाना चाहिए था।’
गांधीजी ने हमेशा स्वच्छता की आवश्यकता पर जोर दिया था।
20 मार्च 1916 को गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था ‘गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए,... स्वच्छता निरीक्षकों ने हमें लगातार चेतावनी दी कि स्वच्छता के संबंध में सब कुछ ठीक नहीं है...
गाँधी जी कहते थे के "आप वह बदलाव खुद बनिए जो आप दूसरों में देखना चाहते हैं"
तो यही सफाई के सम्बन्ध में है हम सब सफाई देखना चाहते है ऐसा नही है के किसी को भी गंदगी पसंद हो मगर जब बारी सफाई करने की आती है तो हम दूसरों का मुंह ताकते है हम लोगो पर निर्भर हो जाते है ।
गाँधी जी नर कहा था के
“So long as you do not take the broom and the bucket in your hands, you-cannot make your towns and cities clean.”
“जब तक आप झाड़ू और बाल्टी अपने हाथों में नहीं लेते हैं, तब तक आप अपने कस्बों और शहरों को साफ नहीं कर सकते।”
तो ये बात काफी हद तक सही भी थी। गांधी जी से स्वछता के सम्बंद काफी जोर दिया ।
25 अगस्त 1925 को कलकत्ता अब (कोलकाता) में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा, ‘वह (कार्यकर्ता) गांव के धर्मगुरु या नेता के रूप में लोगों के सामने न आएं बल्कि अपने हाथ में झाड़ू लेकर आएं। गंदगी, गरीबी निठल्लापन जैसी बुराइयों का सामना करना होगा।
19 नवंबर 1925 के यंग इंडिया के एक अंक में गांधीजी ने भारत में स्वच्छता के बारे में अपने विचारों को लिखा। उन्होंने लिखा, मैन ‘देश के अपने भ्रमण के दौरान मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ गंदगी को देखकर हुई...इस संबंध में अपने आप से समझौता करना मेरी मजबूरी है।’
स्वच्छ्ता के महत्व को समझाते हुए उन्होंने इसकी तुलना भक्ति से की उन्होंने कहा था के
“Cleanliness Is Next to Godliness.”
स्वच्छता भक्ति के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ हैं
सही भी है हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है के स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है।
ग़ांधी जी कहते थे के
I will not let anyone walk through my mind with their dirty feet.
मैं किसी को भी अपने गंदे पाँव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा।
गाँधी जी उस समय मे देश की बड़ी समस्या पर अपने विचार रखे उन्होंने गंदगी को सबसे बड़ा शत्रु समझा वो शायद तब आज की स्तिथि को देख पा रहे थे। तो अगर राष्ट्र उन्हें ही सच्चे अर्थों में श्रदांजलि देना चाहता है तो वो उनके सपनों का भारत बना कर दे सकता है उनके सपनों का भारत स्वच्छ भारत। क्या हम ये कर सकते है।