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भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

उषापान , एक वैज्ञानिक , चमत्कारी सर्वसुलभ मुफ्त उपचार

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
उषापान नवीन शोधो द्वारा मान्य , एक वैज्ञानिक , चमत्कारी सर्वसुलभ उपचार है 
उषापान के नाम से द्वारा उपचार भारत में सदियों से प्रचलित रहा  परन्तु समय के साथ ये ज्ञान विलुप्त सा  है। भारत में कुछ संस्थानों तथा जापान की एक संस्था 'सिकनेस एसोसिएशन ' ने अनेक अध्यनो के आधार पर इसे पुनः स्थापित  करने का प्रयास किया है आज हम इसी कड़ी में आपके समक्ष इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा करेंगे। 
उषापान -जल प्रयोग - वाटर थेरिपी  के लाभ - इस क्रिया  के लाभ जानकर। आपकी इसके पार्टी रूचि बढ़ेगी स्वस्थ शरीर वालो के लिए यह प्रयोग रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला है।  तथा निम्न बीमारियों से उपचार में  भी असरदार सहायक है  
1. सिरदर्द,रक्तचाप,एनीमिया ,जोड़ो का दर्द, मोटापा,अर्थराइट्स। 
2. कफ़ ,ख़ासी , दमा, टी.बी। 
3. लीवर सम्बन्धी रोग, पेशाब की बीमारी । 
4. हाइपर एसिडिटी , गैस , कब्ज़ ,डॉयबिटीज। 
5. नाक और गले की बीमारी। 
6. स्त्रियों की अनियमित माहवारी। 
उपरोक्त बीमारियों में नियमित अभ्यास से कुछ महा में असर दिखना प्रारम्भ हो जाता है 


विधि - यह प्रयोग सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर करना अधिक लाभ कर होता है।  अथवा जब जगे तभी इसे करे। 
सुबह उठते ही आवश्य्कता होने पर पेशाब करने के बाद बिना मंजन ब्रश किये एक लेटर तक जल ( व्यसक 60 kg  भर तक) तथा अधिक भर वाले सवा लीटर तक पानी एक करम में पिये। 
पानी उकडू बैठ कर पीना जयदा अच्छा होता है यदि रात  को तांबे  के बर्तन में रखा हो तो अधिक लाभकर होता है। 

विशेष ध्यान रखे - जिनको सर्दी लगती हो वो शरीर ठंडा रहता हो या कड़ी सर्दिया हो तो हल्का गर्म पानी पिये। 
जिनके शरीर में गर्मी रहती हो जलन रहती हो वो रार का रखा सादा पानी पिये। 
एक साथ न पी पाए तो शुरू में कुछ दिन दो -तीन बार में 5 -7 मिनट के अंतराल पर पिये। 
शुरू में 10 -15 दिन पेशाब  से लग सकता है। 
जो वातरोग एवम संधिवात से ग्रसित है उन्हें पहले सप्तह प्रयोग दिन में तीन बार (सुबह जागते ही , दोपहर में भोजन विश्राम के बाद , थाहा शाम ) करना लाभ कर है 

जल उकडू बैठ कर पीना तथा पिने के बाद खड़े होकर ताड़ासन , त्रियक ताड़ासन  तथा कटिचक्रासन के 5 -5 बार करना अधिक लाभ करता है। 

इसके अतिरिक्त भूख से काम खाये तथा खूब चबा चबा कर खाये 
खाने के साथ पानी न पिए तथा एक घंटे बाद खूब पानी पिए। 
यह रोगी तथा स्वस्थ सभी के लिए अपनाने योग्य है। 


वैज्ञानिक आधार - शरीर विज्ञानं की दृष्टि  से इसके पीछे निम्न कारण है 
रत में नींद के समय शरीर में काम हलचल होती है लेकिन इस समय पेट द्वारा भोजन पचाकर इसका रस  सारे  शरीर में पहुंचने का क्रम चलता है  रात  में शरीर  हलचल और पानी के काम प्रवाह के कारन शरीर में विषैले तत्व इकठा  है।  प्रातः जागते ही शरीर में पर्याप्त मात्रा में एक साथ पानी पहुंचने से शरीर की आंतरिक धुलाई हो जाती है।  और विजातीय पदर्थो और विष के शरीर से बहार निकलने की क्रिया सुलभ हो जाती है। 
यदि ये विजातीय पदार्थ या विष  बहार न निकले तो ये ही बीमारियों का कारन बनते है। 

उषापान बासी मुँह क्यों करे - मुँह में सोते समय शारीरिक विष की पर्त जैम जाती है एक साथ बहुत सारा पानी पिने से इनका एक हल्का घोल बनकर शरीर में जाता है जो वैक्सीन का काम करता है जिससे शरीर में एंटीबीटीज तैयार होते है इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है 
यह प्रयोग स्वस्थ - रोगी -गरीब -आमिर सभी के लिए बहुत उपयोगी है इसे स्वयं प्रयोग करे और अपने क्षेत्र में प्रचारित करे।  यह स्वास्थ्य की दृस्टि से बहुत उपयोगी एवं सरहानीय करए है। 

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