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भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

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वीरो के बलिदानों को समझे

                                                     2.वीरो के बलिदानों को समझे

जो  तन   मन  से  हुए  गुलाम ।
वो वीरो के बलिदानों को क्या समझेगे।।
स्वीकार की जिन्होंने दस्ता मुगलो की ।
वो पद्मावती के जौहर को क्या समझेगे।।
चंद रुपियो में बिकने वाले।
शौर्ये और स्वभिमान को क्या समझेगे।।
विरोधी नही किसी नेता और अभिनेता के।
मगर वीरो के बलिदानों का अपमान नही सहेंगे।।
वीरो के लहू से सिंचित ये भारत भूमि।
इस भूमि के वीरो का उपहास नही सहेंगे।।
पुरखो ने तुम्हारे झुकाकर सर अपना सुख बचाया।
वीरो ने कटा कर सर, अपना स्वाभिमान बचाया।।
रक्त शिराओ में हमारी भी बहता है उन वीरो का।
स्वाभिमान की रक्षा को प्राण न्यौछावर से भी नही डरेंगे।।
चंद रुपयों की खातिर जो माँ को भी गली दे देते है।
क्या वो अब हमें इतिहास का पाठ पढ़ाएंगे।।
किताबो के पन्नो की मोहताज नही वीरो की गाथायें।
राष्ट्रभक्तो के रोम रोम में बसी साहस अदम्य की शौर्ये कथाएँ।।
राष्ट्र की खातिर अपने बेटों को कुर्बान करने वाली माताओ की गौरव गाथाएँ।
सत्ता की खातिर अपने बापो को नजरबंद करने वालो के वंसज क्या समझेगे।।
माना के तुमने खूब पसीना बहा एक फ़िल्म बनाने में।
मगर उन वीरो ने अपना रक्त बहा ये राष्ट्र बनाने में।
चंद रुपयों की खातिर घटिया काम ना करो।
वीरो का इस भारत भूमि के तुम अपमान ना करो।




Importance of festivals

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
importance of festivals

भारत एक ऐसा देश है जिसे अगर हम  त्यौहार का  देश कहे तो ये अतिशयोक्ति नही होगी। क्योकि यहाँ हर दिन कही ना कही, कोई न कोई त्योहार होता ही है जीवन की व्यस्तता के कारण हम मनोरंजन और खुशियो के लिये भी समय नही निकाल पाते। ये त्यौहार हमारे जीवन मे सुखद परिवर्तन लाते है तथा हमारे जीवन में हर्षोल्लास और नवीनता का संचार करते है। हर त्यौहार में कुछ परम्पराए और कुछ समाजिक मान्यताए होती है । हर समुदाय, जाति और धर्म की अपनी मान्यताए होती है उसी के आधार पर वो अपने त्योहारों को मानते है। इन त्यौहारों में परम्परा और मान्यता के साथ समाज और देश के लिये कोई न कोई संदेश भी होता है और यही इनकी सबसे बड़ी खूबसूरती होती है। जैसे भारत मे विजयदशमी को असत्य पर सत्य की जीत का और बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता है और यही इसका सामाजिक संदेश है। उसी प्रकार रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र प्रेम और भाई का बहन को आजीवन रक्षा करने का वचन  इसका सामाजिक संदेश है। इसी प्रकार होली हमे एकरूपता और शत्रु से भी प्रेम करने का संदेश देता है।क्रिसमस संसार से पाप और अंधकार को दूर करने का सन्देश देता है। ईद आपसी भाईचारे का संदेश देता है। हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई सामाजिक उद्देश्य होता है। जो उन त्योहारों की वास्तविक सुंदरता है। और ये समाज के ताने बाने को मजबूत करते है।
हर त्यौहार का कुछ न कुछ विधि विधान होता है उनमें काफी वैज्ञनिकता भी है हो सकता है इन्ही वैज्ञनिक महत्व को देखते हुए हमारे पूर्वजों ने त्यौहार और रीतिरिवाजों के द्वारा ये महत्व अपनी अगली पीढ़ी तक पहुचाने का प्रयास किया हो। 
दीपावली से पहले सभी घरों में साफ सफाई और रंगाई पुताई होती है और आज विज्ञान भी इसके महत्व को नकार नही सकता के बरसात के बाद घरों में नमी और गंदगी होती है और गंदगी और मक्खी मच्छर बीमारियो का कारण बन सकते है और दीवाली से पहले की ये सफाई कितनी उपयोगी होती है। 
हर पुजा पाठ में तुलसी को महत्वपूर्ण स्थान मिला है और शास्त्रों में हर घर मे तुलसी का पौधा लगाने के लिए कहा गया है रोज सवेरे तुलसी को जल देना और पूजा अर्चना करने का विधान है और वैज्ञनिक शोधों में पाया गया है कि मानव शरीर के लिए तुलसी का पौधा अनेक प्रकार से लाभदायक है। यह हवा को शुद्ध करने में सहायक है और अनेक रोगों में भी इसके पत्ते, इसके बीज लाभकारी सिद्ध होते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर भी तुलसी को जड़ी बूटी मानकर दवाओं में प्रयोग करते हैं। 
साथ ही प्रतिदिन सवेरे सूर्य को जल अर्पित करने को हमारे धर्म ग्रंथों में महत्वपूर्ण बताया गया है। सूर्योदय के समय जो किरणें हमारे शरीर पर पड़ती हैं वह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। इसलिए हमारे पूर्वजों ने रोज सवेरे स्नानादि से निवृत्त होकर सूर्योदय के समय में जल अर्पण करने का प्रावधान किया है।
ऐसे ही विभिन्न त्यौहारों पर उपवास का महत्व है यदि हम उपवासों पर दृष्टि डालें तो उपवासों का उद्देश्य मानव शरीर को स्वस्थ रखना प्रतीत होता है सारी शारीरिक समस्याओं की जड़ पेट होता है अर्थात यदि पेट की पाचन क्रिया दुरुस्त है तो शरीर व्याधि रहित रहता है। उसे ठीक रखने के लिए समय-समय पर उपवास करना सर्वोत्तम माना गया है, फिर चाहे उपवास रोजे के रूप में हो या फिर नवरात्री के रूप में। अगर हम नवरात्रो के उपवास के समय पर गौर करे तो पता चलेगा के ये मौसम परिवर्तन के समय आते है जिसमे एक शर्दियों के आगमन पर और एक गर्मियों के आगमन पर जो हमारे पेट को उपवास के माध्य्म से उस ऋतु परिवर्तन के अनुकूल बनाते है।
पूजा पाठ के दौरान होने वाले हवन का भी विशेष महत्व है वैज्ञानिक शोधों से सिद्ध हो चुके हैं के जब हवन का आयोजन होता है तो उसमें हवन कुंड में देसी घी, कपूर, हवन सामग्री तथा आम की लकड़ी प्रज्वलित की जाती है। इन वस्तुओं के प्रज्वलन से शुद्ध ऑक्सिजन  प्राप्त होती है, जो हमारे स्वास्थ्य रक्षा और रोगों के निदान के लिए महत्वपूर्ण होता है हवन से वायु शुद्ध होती है इससे वातावरण में व्याप्त जीवाणु और विषाणु नष्ट हो जाते हैं साथ ही हम संक्रमण से बचते हैं। 
पूजा पाठ में वैदिक मन्त्रों का जाप भी महत्वपूर्ण माना गया है मन्त्र का उद्देश्य मन को केंद्रित कर उसे अनेक बुराइयों से बचाना होता है और इससे शारीरिक ऊर्जा का विकास होता है। इस विषय पर शोध करने के पश्चात पाया गया कि मन्त्र के उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें अनुकूल प्रभाव डालती हैं। अतः इस मन्त्र का वैज्ञानिक महत्त्व चमत्कारिक है। इसके लगातार उच्चारण करने से शारीरिक ऊर्जा के साथ-साथ जप के स्थान पर भी ऊर्जा का संचार पाया गया है।
नदियों में सिक्के डालने के पीछे भी रहस्य छिपा हुआ है। प्राचीन काल में सिक्के तांबे के होते थे, जिन्हें नदी में डालने से नदी के जल को शुद्ध करने में सहायता मिलती थी। यद्यपि यह परंपरा आज अप्रासंगिक हो गयी है क्योंकि सिक्के अब तांबे के नही होते तो ऐसी परम्परों को आज त्याग देना चाहिये। और साथ ही अन्य गंदगी भी धर्म के नाम पर नदियों में नही डालनी चाहिए क्योंकि ये धर्म की वैज्ञनिकता को कंलकित करती है।
त्यौहार पारिवारिक और सामाजिक एकता में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । त्यौहार का आनंद और भी अधिक होता है जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ त्योहारों में हिस्सा लेते हैं । परिवार के सदस्यों का त्योहार के शुभ अवसर पर एकत्र होने से कार्य की व्यस्तता के कारण जो संवादहीनता या परस्पर दुराव उत्पन्न होता है वह समाप्त हो जाता है । संवेदनाओं व परस्पर मेल आदि से मानवीय भावनाएँ पुनर्जीवित हो उठती हैं । इसके अतिरिक्त पारिवारिक संस्कार आदि का बच्चों पर उत्तम प्रभाव पड़ता है ।
अतः हम कह सकते है के ये त्यौहार परिवार , समाज और राष्ट्र के निर्माण और एकता के लिये महत्वपूर्ण है। तो त्योहारों को मिलजुलकर मनाये और खुशियों को बटकर खुशियो को बढ़ाये।

pollution and politics

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
ban on crackers, right or wrong

प्रदूषण बड़े शहरों में एक बहुत बडी समस्याओं में एक है इसमें कोई दोराय नही। और पटाखे भी प्रदूषण फैलाते है ये भी सही है वो वायु और ध्वनि दोनों प्रकार का प्रदूषण करते है ये सही है मगर क्या वो सिर्फ कुछ निर्धारित कालखण्ड में ही प्रदूषण करते है अगर नही तो क्यो न उन्हें हमेशा के लिये बैन कर दिया जाये। और क्यो न पूरे देश मे बंद कर दिया जाय। और साथ ही सबसे ज्यादा प्रदूषण तो ये वाहन करते है तो क्यो हम इन वाहनों खासकर डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे।
 
                                   

अगर बहस प्रदूषण पर है तो होनी भी चाहिये और सभी देश के सभी नागरिकों को इसका स्वागत भी करना चाहिय। क्योकि दिल्ली जैसे शहरों में तो सांस लेना भी भारी है। एक अकड़े के अनुसार दिल्ली विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में से एक है और ये बड़े दूरभाग्य का विषय है के हमारे देश की राजधानी की ये हालात है सुख सुविधओं और मनोरंजन की लालसाओं ने ये स्तिथि पैदा कर दी के आज हम दो कदम के लिये भी गाड़ी लेकर चलते है। मगर एक सच ये भी है के  कोई भी सुविधा या मनोरंजन जीवन से ज्यादा जरूरी नही। और प्रदूषण तो एक बड़ी समस्या है और जिसके बहुत से और भी बड़े कारण है और अगर हम प्रदूषण को लेकर इतना ही सज़ग है तो क्यो नही प्रदूषण के अन्य कारणों पर सख्त कदम उठा पा रहे। क्यो फैक्टरियों से निकलने वाले धुँए पर कोई लगाम लगा पा रहे। 

क्या हम देश हित मे सड़को पर गडियो की संख्या कम करने के लिये कोई सख्त कानून नही  बना सकते। जैसे हर कम्पनी या आफिस को अपने एम्प्लॉय के लिये बस या वेन कंपलसरी कर देनी चाहिए जिससे सब अपनी अपनी गडियो को सड़क पर न लाकर एक कॉमन व्हीकल से आये। साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट को भी इतना मजबूत किया जाय के लोगो को इसके इस्तेमाल में सुविधा हो। कूड़े के लगे पहाड़, ये भी तो प्रदूषण करते है इनके निस्तारण का कोई सख्त तरीका क्यो नही लागू किया जाता। 

और हम अति होने पर ही क्यो जागते है जहाँ प्रदूषण की अति हो गयी बस वहाँ अनान फानन में कुछ आदेश दे दो देश को लगे कुछ काम हो रहा है। देश के बाकी हिस्से जहाँ अभी स्तिथि नियंत्रण में है वहाँ भी अभी से कुछ कार्येवाहि क्यो नही करते या वहाँ अभी स्थित के बिगड़ने के इंतजार कर रहे है ? नदियों नालो की स्तिथि तो इतनी बुरी हो चुकी है की कही भी पानी पीने लायक नही। और इसी का फायदा ये बड़ी बड़ी कंपनिया उठा रही है और सड़कों 20-30 रुपये की पानी बोतल और घरों में अपने RO बेच कर मोटा मुनाफा कमा रही है। 

मगर सरकारे नदियों नालो में गिरने वाले नालो पर क्यों कोई सख्त कार्येवाहि नही कर पाती और न ही कोई समाधान निकाल पाती। देश हित की चर्चाओ को धार्मिक रंग मिलान चिन्ता का विषय है मगर इसकी जिम्मेदार सिर्फ जनता है ऐसा नही। वो फैसले भी है जो जनता के मन मे संदेह पैदा करते है साथ ही देश की तुष्टिकरण की राजनीति सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। और देश मे धर्म और जातियो के राजनीतिक ठेकेदार सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जिनके कारण  हर मुद्दे पर चर्चा धर्म और जाति तक सिमट कर रह जाती है। अगर कही महिलाओ के शोषण और अधिकारों की बात होती है चाहे मंदिर पे प्रवेश हो या तीन तलाक़ हम हर मुद्दे में हालत यही हैं। आज देश की विडंबना ही यही है कि यहाँ असल मुद्दों पर कभी चर्चा हो ही नही पाती और राजनीति हमेशा हर मुद्दे पर हावी हो जाती है और शायद कभी निष्पक्षता से कोई फैसले भी नही होते। अभी हाल ही के पटाखे बैन के मुद्दे पर ही अगर फैसला हमेशा के लिये पटाखे बैन का होता और फैसला भी एक दो महीने पहले होता तो शायद इतना विवाद न होता क्योंकि कुछ दिनों के बैन से तो लोगो का पूछना लाज़मी है के क्या बाकी समय पटाखे ऑक्सीजन देते है । ये तो हमेशा ही नुकसानदायक है तो क्यो ना उन्हें हमेशा के लिये बैन कर दिया जाय। और वो भी पूरे देश मे, साथ ही डीजल गाड़िया भी बंद कर दी जाए पूरे देश मे ताकि जिन शहरों में अभी स्तिथि सही है वहाँ सही बानी रहे। और जनता को भी कुछ निर्णय खुद लेने चाहिय के उनके लिये क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है मनोरंजन , सुविधा या आने वाली पीढ़ी का जीवन। तो सोच समझ कर गाड़ी , एयरकंडीशनर  आदि का इस्तेमाल करे 
प्रदूषण के आकड़ो की रिपोर्ट पर्टिकुलेट मैटर 2.5(पीएम) के आधार पर बनाई है। पीएम हवा में फैले सूक्ष्म खतरनाक कण हैं जो हमारे फेफड़ों में भी प्रवेश कर जाते हैं। 2.5 माइक्रोग्राम से छोटे इन कणों को पर्टिकुलेट मैटर 2.5 या पीएम 2.5 कहा जाता है। प्रत्येक क्यूबिक मीटर हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर जानकर प्रदूषण का आकलन किया जाता है। 1.4 करोड़ से अधिक की जनसंख्या वाले चयनित मेगा शहरों के नमूने में नई दिल्ली सबसे प्रदूषित है।
 दिल्ली सरकार पार्को के रखरखाव पर सालाना करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद सूरत व सीरत नहीं बदली। आलम यह है कि जिन पार्को में लोगों को सैर सपाटे करना चाहिए, वहां गाड़ियों की पार्किंग हो रही है तो कहीं पूरा पार्क ही वीरान पड़ा है। खास बात यह कि देल्ही के कुछ पार्को में तो  पौधों को पानी देने का भी कोई साधन नहीं है।

उद्यान विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक नगर निगम पश्चिमी जोन में 2700 पार्क हैं। इसमें से करीब 1500 पार्क उजड़ चुके हैं। वहीं कागजों में जो 1200 विकसित पार्क हैं, उनमें से 415 पार्को में पंप ही नहीं लगे हैं। फिर कैसे पार्को में लगे पौधों की सिंचाई की जा सकती है।जानकारी के मुताबिक पश्चिमी जोन में पार्को के रखरखाव पर करीब 8.50 करोड़ रुपये खर्च किए गए। बावजूद इसके इसका असर कहीं नजर नहीं आता। और यही हाल बाकी जोन का भी है । सरकार हर साल करोड़ो रुपए खर्च करके कोशिश करती है कि दिल्ली को हर भरा रखा जाए जिससे प्रदूषण में कुछ कटौती की जा सके लेकिन ये सिर्फ कागजों पे ही योजनाएं बनती है और खत्म हो जाती है, सरकार यदि चाहे तो इसके चौथाई खर्च में पूरे दिल्ली के प्रदूषण पे नियंत्रण कर सकती है ।
जिससे प्रदूषण नियंत्रण किया जा सकता है -- 
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए  शायद इसी कारण लोग अपने घरों के अंदर भी पेड़ लगा रहे हैं।
 एक अध्ययन के अनुसार यह पता लगा कि घर की हवा को ताजा करने के लिए पौधे बेस्ट होते हैं। घर के अंदर की हवा में काफी मात्रा में बेंजीन, ट्राइक्लोरोथिलीन, अमोनिया जैसे कई तरह के नुकसान देने वाले रसायन होते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि घर के अंदर बढ़ते वायु-प्रदूषण को कम करने में पौधे हथियार के रूप में काम करते हैं। कुछ पौधे ऐसे होते हैं कि हमारे घरों, सार्वजनिक स्थलों और कार्यालयों के अंदर की हानिकारक गैसों को 85% तक अपने अंदर समा लेते हैं।ये पौधे सिर्फ़ हानिकारक गैसों से निपटारा ही नहीं करते, बल्कि घरों को सुंदर भी बनाते हैं। अच्छी सेहत और साफ हवा के लिए अपने घरों में पौधे को ज़रूर लगाएं।यदि दिल्ली सरकार चाहे तो सड़को के किनारे और पार्कों में ज्यादा से ज्यादा लगा सकती है और 60 से 85% तक एयर पॉल्युशन कम कर सकती है ।।
इस दीपावली कम से कम 5 पौधे खरीदे 3 अपने घर के लिए और 2 अपने आसपास के पार्क के लिए जरूरी नही की हर बार सरकार की तरफ ही देखा जाए जरूरत है खुद इस लड़ाई में हिस्सा लेकर अपने बच्चो के भविष्य के लिए कुछ करे , हाथ पे हाथ रख के बैठने से कुछ नही होने वाला । ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए उन्हें बचाये। और पर्यावरण संरक्षण में अपना सहयोग दे।

Economy of India,भारत की अर्थव्यवस्था

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है चीन और अमेरिका ही सिर्फ हमसे आगे है

 इसका मतलब ये नही हम बहुत अमीर  देश है। आज भी यहाँ गरीबी बहुत है सरकारी आकड़ो के अनुसार ही देश मे 22-23% लोग गरीबी रेखा से निचे है मगर वास्तव में तो आधे से ज्यादा लोग गरीब ही है। क्योंकि सरकार तो 32 रुपये से ज्यादा वाले को गरीब नही मानती। चलो जो भी हो सरकारी अकड़ा हम अर्थव्यवस्था पर बात करते है । 
वैसे तो स्कूलों में पढ़ाया जाता है के हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान 17-18% पर पहुँच गया है। हमारे सकल घरेलू उत्पाद(GDP) मे आधे से ज्यादा हिस्सा सर्विस सेक्टर ही है। ऐसा नही के कुछ सालों में कृर्षि सेक्टर की भगीदारी घाटी है ये तो आज़ादी के बाद से साल दर साल घटती ही आ रही है। क्योकि किसान तो सिर्फ राजनीतिक मुद्दा ही बन कर रह गया है। किसान और कृषि के विकास के लिये ज्यादा काम हुआ ही नही । और दूसरा कारण ये भी है के बाकी क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ गए। मगर कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रो का विकास जरूरी है क्योकि खाद्य महगाई इसी पर निर्भर है। और ये महंगाई दर का वो हिस्सा है जो सीधे जनता को प्रभावित करता है।

हमारे देश की GDP आज विश्व मे तीसरे स्थान पर पहुँच गयी है और वृद्धि दर 5-6% पर है । वैसे ये उम्मीद से काफी कम है क्योंकि आकलन थोड़ा ज्यादा था । मगर इसका मतलब ये नही की हम मंदी के दौर से गुजर रहे है। मगर 2014 से जो गति पकड़ी थी वो थोड़ा कम हुई है। वैसे तो इसके बहुत से कारण है मगर मुख्य कारणों में हम नोट बंदी को गिन सकते है। मगर इसका मतलब ये नही के हम नोटबंदी को गलत ठहरा रहे है। बल्कि ये तो उस दवाई की तरह है जो बीमारी में दी जाती है उससे कभी कुछ कमजोरी महसूस दे सकती है मगर वो आपके भले के लिये है। क्या आपको पता है देश की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा रियल स्टेट है और नोट बंदी का सबसे बड़ा असर भी यही हुआ है सबसे ज्यादा कालधन और भ्रस्टाचार भी यही है। वैसे तो देश मे 2011 में इन मुद्दों पर काफी हल्ला हुआ था मगर जब कुछ कार्येवाहि हुई तो सब हिल गए। क्या रियल स्टेट में कालाधन कैसे? ये कौन नही जानता के यहाँ हर रजिस्ट्री मार्किट वैल्यू से कम पर होती है। मतलब आप 50 लाख के घर की रजिस्ट्री 30 लाख में करते है देते तो 50 लाख ही कागज में बाकी 30 अंडर टेबल। क्यो थोड़ा टेक्स बचाने के लिये थोड़ा इनकम छुपाने के लिये बाकी जो ईमानदारी चाहते भी है उन्हें डीलर के दबाव में ऐसा करना पड़ता था क्योंकि डीलर भी अपनी इनकम कम करके दिखा रहा है। इतने बड़े काले धंदे पर चोट लगी तो कुछ तो असर होगा। जिनमे थोड़ा बहुत ईमानदारी थी वो तो अब भी कर रहे है मगर जिन्हें बईमानी की ज्यादा आदत थी वो तोड़ा ज्यादा ठंडे है। वैसे ये नोटबन्दी अच्छी है या बुरी इसके तो सबके अपने आकलन है। कोई 99% नोट जमा होने को ही बुरा मान रहे है मगर उस का क्या जो नकली नोट बाहर हो गए। वो भी तो देश की अर्थव्यवस्था को खराब कर रहे थे। खैर जो भी हो मगर नोटबन्दी और उसके आसपास बने कई बैंकिंग नियम भ्रस्टाचार पर लगाम और कालेधन को नियंत्रण करने में सहायक है। मगर ये 2000 का नोट सही नही लगा उस समय नोट की कमी को पूरा करने के लिये सही था मगर अब इसको धीरे धीरे बैंड कर देना चाहिये।
वैसे हमारे देश मे 5000 और 10000 के नोट भी जब चला करते थे जब पूरे पुर गाँव के पास इतने पैसे नही होते होंगे 1978 में भी एक नोटबन्दी मे बंद हुए थे ये।
वैसे बात अर्थव्यवस्था की कर रहे थे तो नोटबन्दी का जिक्र जरूरी था क्योकि इस पर काफी हल्ला हो रहा था। वैसे तो GDP ग्रोथ  2012-13 में ये 4.5% और 2013-14 में भी 4.75% के आस पास थी। तब कोई नोटबन्दी भी नही थी।

देश की अर्थव्यवस्था में GDP के साथ ही महंगाई दर भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये जनता की खरीदने की क्षमता से जुड़ी है और सरकार को नीति निर्धारण एक कारक है। वैसे आकड़ो के अनुसार इसका नियंत्रण में होना भी अच्छा संकेत है महगाई दर 3-4 % से कम ही है। इसका मतलब ये नही के चीज़े पहले की तुलना में सस्ती हो गयी मगर दाम बढ़ने की दर कम हो गयी। साथ ही इसका आपको इनकम से गहरा संबंध है यदि आपकी इनकम 15% से बढ़ती है और महगाई 5 % से तो इसका मतलब आप ग्रोथ कर रहे है और अर्थव्यवस्था आपके लिये अच्छी है। लेकिन इसका उलट बुरी स्तिथि है। क्योंकि अगर आपकी पर्चेज पावर (खरीदने की क्षमता) बढ़ रही है तो किसी चीज़ के दाम में उतार चढ़ाव मायने नही रखते।

साथ ही देश की अर्थव्यवस्था के लिये GST भी लंबे समय मे अच्छा साबित होने वाला है। बईमानों को यहाँ भी दिक्कत होने वाली है क्योंकि इसमें टेक्स चोरी थोड़ा मुश्किल होगा। फ़र्ज़ी बिल भी मुश्किल होगा क्योकि सब ऑनलाइन होगा। तो फ़र्ज़ी बिल पकड़ना आसान होगा। साथ ही टेक्स चोरी भी कम होगी जो देश का रेवन्यू बढ़ाने में सहायक होगा। 
खैर अपनी चर्चा को वापस अर्थव्यवस्था पर आते है । अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिये कृषि क्षेत्र का विकास टी जरूरी है ही साथ ही इंडस्ट्रियल ग्रोथ भी जरूरी है इसमें मुख्य रूप से माइनिंग , मैनुफैक्चरिंग, इलेक्ट्रिसिटी , गैस प्रोडक्शन आदि आते है। और आज के समय मे अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा घटक सर्विस सेक्टर जिसमे ट्रांसपोर्ट, व्यपार, होटल, रियल स्टेट आदि प्रमुख है और सीधी भाषा मे कहे तो अगर लोगो के पास पैसा आएगा तो ये ज्यादा बढेगा । मगर अर्थव्यवस्था के बढ़ने में इस बात का भी ध्यान जरुरी है के गरीब जनता और मिडल और लोअर मिडिल क्लास की भागेदारी भी इसमें हो। ऐसा न हो के अमीर और गरीब के बीच की खाई ज्यादा बढ़ जाये।
वैसे तो अर्थव्यवस्था और भी जटिल है जिसमे अगर फल सब्जियां बाज़ार में सस्ती हो जाये तो किसान दुखी और महंगी हो जाये तो खरीदार दुखी। तो इसका संतुलन जो थोड़ा मुश्किल भी मगर बनाना जरूरी है। जितना मैंने अर्थव्यवस्था को किताबो में पढ़ा और समझा आपको सरल भाषा मे समझाने का प्रयास किया। अगर कोई सलाह या शिकायत हो तो जरूर लिखे।


-AC

safety of children

कैसे स्कूल चले हम ?

हर माँ बाप का सपना होता है के उनका बच्चा अच्छे से अच्छी शिक्षा ले और इसी सपने को पूरा करने के लिये वो अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाते है और उन स्कूलों की मोटी फीस भरने के लिये अपना दिन रात सब लगा देते है।
मगर जब वो देखता की जिस महंगे स्कूल की शान और शौकत को देख कर वो बच्चे के भविष्य के सपने सँजो रहा था उसी स्कूल ने उससे उसका वो ज़िगर का टुकड़ा छीन लिया। तो तब उनके दिल पर क्या गुज़रती है उसका अनुमान हर सभ्य और सवेधनशील व्यक्ति लगा सकता है।
रोज नई घटनाओ को देखकर अब तो बच्चो को स्कूल भेजने में भी डर लगता है। क्या होगा ऐसे समाज का जहाँ कुछ लोग इस हद्द तक गिर चुका है की मासूम बच्चो को भी नही छोड़ते।
और कैसे कहे इन स्कूल को शिक्षा का मंदिर जो सिर्फ कमाई का धंदा बन के राह गए है।
बच्चो के साथ दुष्कर्म, ह्त्या इससे बड़ा कोई अपराध नही हो सकता और इसके लिये उस अपराधी के साथ उस स्कूल प्रशासन पर भी कड़ी कार्येवाहि होनी चाहिए जिनके भरोसे माँ बाप अपने मासूम बच्चो को वहाँ भेजते है। और सरकार और प्रशासन को ऐसे स्कूलों की मानयता रद्द कर देनी चाहिये जो इतनी मोटी फीस लेने के बाद भी बच्चो को सुरक्षा नही दे पाते।
सरकार को भी स्कूलों के लिये नियम कड़े करने चाहिये और उनका कड़ाई से पालन भी करना चाहिये जो अपने देश के बच्चो को सुरक्षा ना दे पाए वो सरकारें भी किसी काम की नही।
आज हर माँ बाप को सावधान रहने की जरूरत है अपने बच्चे के स्वभाव में होने वाले छोटे बड़े बदलावों पर नज़र रखने की जरूरत है उसे अच्छे और बुरे का फर्क बताने जी जरूरत है। बच्चे को अनजान लोगों के साथ न छोड़े, अपने बच्चे को अच्छे और बुरे स्पर्श का फर्क समझाने का प्रयास करे  अपने बच्चे को समय दे और हर स्तिथि को अपने माता पिता से शेयर करने की आदत डालें।अगर वो कुछ कहना या बताना चाहता है तो उसकी बात पर ध्यान दे और उसे सुने और समझने की कोशिश करे।उसे अहसास दिलाय के आप हर वक़्त उसका साथ देगे। अगर बच्चे के वयवहार में अचानक कोई बदलाव दिखे तो उसे नज़रअंदाज़ ना करे। अगर उसे चुप रहने और अकेले रहने की आदत बन रही है तो उसे समझने जा प्रयास करे। अगर बच्चा किसी जगह या किसी व्यक्ति से कतराने लगे तो उसके कारण को समझने का प्रयास करे।
स्कूल में अगर आपको सुरक्षा में कोई चूक लगे या कोई लापरवाही लगे तो प्रबंधन से बात करने में कतराए नही।
अपने बच्चे की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करे।
और आज आवश्कयता के ऐसी घटनाओं के विरोध में सब एक साथ खड़े हो और स्कूलों और शाशन प्रशाशन की आंखों को खोला जाय ताकि किसी को न्याय मिल सके और आगे की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।

-AC

पत्रकार की हत्या पर " मातम या जश्न"

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
पत्रकार की हत्या पर " मातम या जश्न"

आज एक पत्रकार की हत्या सुर्ख़ियो में है। ऐसा नही के देश मे पहली बार किसी पत्रकार की हत्या हुई हो। मगर  फिर भी कुछ लोग जश्न मना रहे है और कुछ मातम।
अजीब स्तिथि है किसी की मौत पर जश्न वो भी सिर्फ इसलिये के वो आपकी विचार धारा के विरोधी  है। बड़े दुख और शर्म की बात है साथ ही जो लोग आज मातम मना रहे है वो भी इतने भले नही क्योकि आज से पहले दूसरी विचारधारा के लोगो की हत्या पर वो मौन थे। तब कहाँ थी उनकी सवेधनशीलता और उनकी सभ्यता । क्या वो आज सिर्फ ढोंग नही कर रहे इंसानियत का।
वैसे तो सुनकर भी अजीब लगता है कि पत्रकार भी अब एक विचारधारा के समर्थक और विरोधी हो गये। जब निष्पक्षता ही नही बची तो वो पत्रकारिता कहाँ की? पत्रकारिता के नाम पर ज्यादातर तो धंदा ही कर रहे है कोई किसी नेता की तो कोई किसी नेता की दलाली।
कुछ पत्रकार है जो आज भी सच को सामने रखने का काम करते है मगर शायद वो बहुत कम ही होंगे।
खैर वो अपने आकाओं के हुक्म की तामील कर रहे है।उन्हें करने देते है जब तक उनका ज़मीर न जागे।
मगर जश्न मनाने वालो को एक बार सोचना चाहिए के भगवान राम ने भी रावण के मौत पर जश्न नही मनाया था उन्होंने भी संवेदना ही व्यक्त की थी। और मातम मनाने वालों को भी सोचना होगा के क्या किसी की हत्या का मुद्दा भी इस आधार पर बनेगा के वो किस विचारधारा से है क्या आपकी नजर में खून के रंग भी अलग होते है क्या?
दोनों ही पक्षो को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है कि अपने राजनीतिक फायदे और नुकसान के कारण हम देश को किस दिशा में ले जा रहे है। सबसे बड़ी बात इंसानियत को कहा ले जा रहे है। क्योंकि बिना इंसानियत के तुम इंसान ही कैसे रहोगे।
मगर मैं जानता हूं एक आम इंसान की ये छोटी सी बात इन बुद्धिजीवियों की समझ मे कहाँ आएगी वो तो बड़ी बात को समझते है। 
खैर आयने का काम है हकीकत दिखाना, अब आप पर है के चेहरे को साफ करोगे या जमाने को दोष दोगे।

-AC

स्वच्छ भारत अभियान: क्या स्वच्छ हुआ भारत ?

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
स्वच्छ भारत अभियान.


यू तो 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती मनाई जाती है मगर 2 अक्टूबर 2014 कुछ खास हो गयी क्योकि उस दिन देश के नये बने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक अभियान की घोषणा की स्वच्छ भारत अभियान... स्वच्छ भारत अभियान एक उम्मीद बनकर आया के अब हमारा देश भी स्वच्छ बनेगा । देश मे एक माहौल बना लोग गंदगी से मुंह चुराने के बजाए उसको साफ करने के लिये आगे आये प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर पूरा देश चल दिया शहर, गाँव, कस्बो, गली और मोहल्लों स्वच्छ्ता की समितियां बनने लगी । काम भी करने लगी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने भी अपनी भागीदारी निभाई और नेता, अभिनेता, मन्त्री , संतरी सभी झाड़ू लेकर सड़को पर आ गए । कुछ गंदगी को साफ करने को तो कुछ फोटो खिंचाने को खैर जो भी हो एक माहौल तो बना ही । मगर क्या सच मे स्वच्छ बना भारत ? आज भी वही गंदगी के ढेर , बड़े बड़े कूड़े के मैदान , नदियों नालो का प्रदूषण किसी से छुपा नही। सरकार की स्वछता की मुहिम भी अब बस स्वच्छ भारत से खुले में शौच मुक्त भारत तक सीमित हो गयी। क्योकि उन्हें भी यही आसान दिखा। क्योकि कुछ तो हो न दिखाने के लिये हमारे सरकारी बाबू को ऊपर प्रधानमंत्री जी को भी तो बताना है के कितने सफल रहा हमारा अभियान।

सरकार भी मानती है के देश मे गंदगी के कारण अनेक बीमारियों के कारण स्वास्थ सेवाओ पर करोड़ो का खर्च करना पड़ता है। साथ ही who की एक रिपोर्ट के अनुसार गंदगी के कारण देश के प्रत्येक नागरिक को 6500 रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ता है। भारत सरकार द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार वर्ष 2016 में डेंगू के 129166 मामले सामने आए अकेले देल्ही में ही 4431 मामले थे। ये सब बातें और अकड़े ये समझने के लिये काफी है कि देश मे स्वच्छ्ता की कितनी जरूरत है। मगर ये सिर्फ सड़को पर झाड़ू लगाने या शौचालय बनवा देने से संभव नही शौचालय एक पक्ष है वो हर घर और संस्थानों में होना चाहिये । मगर साथ ही जरूरी है कूड़े कचरे की समस्या जो शहर और गाँव मे कूड़े के पहाड़ लगे है उनके निस्तारण की। सड़कों और गलियों को साफ़ करने में तो जनता ने आपका सहयोग किया मगर गाँव शहर की सरकारी मशीनरी को भी जागना होगा कही कही तो कूड़ा डालने के लिये उचित व्यवस्था नही कोई डस्टबिन या कूड़े दान तो छोड़ो कोई बस्ती और रिहायशी इलाकों से दूर कूड़े को डालने की जगह ही नही खुद सरकारी गाड़ियों को कूड़ा नदी नालों या कही भी किसी खाली मैदान में डालते देखा जाता है। कूड़े के निस्तारण की कोई तकनीक और व्यवस्था ही नही। देश के इतने बड़े बड़े संस्थान इतना बड़ा लोकतंत्र अगर कूड़ा निस्तारण का कोई आधुनिक तरीका नही निकल सकता या कोई व्यवस्था नही कर सकता तो स्वच्छ भारत का सपना एक सपना ही रहने वाला है। देल्ही जो देश की राजधानी है वहाँ भी स्थित बहुत बुरी है कूड़े के पहाड़ के कारण लोगो का मरना क्या ये राजधानी की खबर है सुनकर भी अजीब लगता है। अगर वहाँ ये स्तिथ है तो देश के दूर दराज़ के इलाकों में क्या होगा। कैसे हम हमारे देश को विदेशों की तरह साफ सुथरा और सुंदर बना पाएंगे। क्या ये सिर्फ सपना रहने वाला है। या सरकारी बाबुओ के आकड़ो में एक सफल योजना। और अकड़े भी वो जो बंद कमरों में बनते है।

नई सरकार और नए प्रधानमंत्री ने एक उमीद जगाई थी नए भारत की मगर ऐसे तो भारत नया नही बन पाएगा और ना ही सिर्फ शौचालय बनाने से स्वच्छ भारत भी नही बन पाएगा। 
एक बात और जानने की जरूरत है क्यो स्वच्छ भारत अभियान के लिये गांधी जयंती को ही चुना गया । क्योंकि गांधी जी शायद स्वच्छ्ता के बड़े पुजारियों में से एक है उन्होंने हमेशा राष्ट्र को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने का प्रयाश किया।  गाँधी जी ने हमेशा से ही स्वच्छ्ता के महत्व को समझाने का प्रयास किया उन्होंने आजीवन स्वछता के महत्व को समझाया.
 भारत में गांधीजी ने गांव की स्वच्छता के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से पहला भाषण 14 फरवरी 1916 में मिशनरी सम्मेलन के दौरान दिया था। 
उन्होंने वहां कहा था ‘देशी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा की सभी शाखाओं में जो निर्देश दिए गए हैं, मैं स्पष्ट कहूंगा कि उन्हें आश्चर्यजनक रूप से समूह कहा जा सकता है,गांव की स्वच्छता के सवाल को बहुत पहले हल कर लिया जाना चाहिए था।’
गांधीजी ने हमेशा स्वच्छता की  आवश्यकता पर जोर दिया था।
 20 मार्च 1916 को गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था ‘गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए,... स्वच्छता निरीक्षकों ने हमें लगातार चेतावनी दी कि स्वच्छता के संबंध में सब कुछ ठीक नहीं है...
गाँधी जी कहते थे के "आप वह बदलाव खुद बनिए जो आप दूसरों में देखना चाहते हैं"
तो यही सफाई के सम्बन्ध में है हम सब सफाई देखना चाहते है ऐसा नही है के किसी को भी गंदगी पसंद हो मगर जब बारी सफाई करने की आती है तो हम दूसरों का मुंह ताकते है हम लोगो पर निर्भर हो जाते है ।

गाँधी जी नर कहा था के
 “So long as you do not take the broom and the bucket in your hands, you-cannot make your towns and cities clean.” 
 “जब तक आप झाड़ू और बाल्टी अपने हाथों में नहीं लेते हैं, तब तक आप अपने कस्बों और शहरों को साफ नहीं कर सकते।” 
तो ये बात काफी हद तक सही भी थी। गांधी जी से स्वछता के सम्बंद काफी जोर दिया ।
25 अगस्त 1925 को कलकत्ता अब (कोलकाता) में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा, ‘वह (कार्यकर्ता) गांव के धर्मगुरु या नेता के रूप में लोगों के सामने न आएं बल्कि अपने हाथ में झाड़ू लेकर आएं। गंदगी, गरीबी निठल्लापन जैसी बुराइयों का सामना करना होगा।
19 नवंबर 1925 के यंग इंडिया के एक अंक में गांधीजी ने भारत में स्वच्छता के बारे में अपने विचारों को लिखा। उन्होंने लिखा, मैन ‘देश के अपने भ्रमण के दौरान मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ गंदगी को देखकर हुई...इस संबंध में अपने आप से समझौता करना मेरी मजबूरी है।’

स्वच्छ्ता के महत्व को समझाते हुए उन्होंने इसकी तुलना भक्ति से की उन्होंने कहा था के
“Cleanliness Is Next to Godliness.” 
स्वच्छता भक्ति के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ हैं
सही भी है हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है के स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है।

ग़ांधी जी कहते थे के
I will not let anyone walk through my mind with their dirty feet.
मैं किसी को भी अपने गंदे पाँव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा।


गाँधी जी उस समय मे देश की बड़ी समस्या पर अपने विचार रखे उन्होंने गंदगी को सबसे बड़ा शत्रु समझा वो शायद तब आज की स्तिथि को देख पा रहे थे। तो अगर राष्ट्र उन्हें ही सच्चे अर्थों में श्रदांजलि देना चाहता है तो वो उनके सपनों का भारत बना कर दे सकता है उनके सपनों का भारत स्वच्छ भारत। क्या हम ये कर सकते है।

सरकार और सरकारी बाबुओ को प्रधानमंत्री के मन की बात समझनी चाहिये और स्वच्छ भारत अभियान का सही मतलब और वही सही स्वच्छ भारत अभियान सही में कुछ परिवर्तन ला सकता है साथ में सरकारी योजनाओं में सही ढंग से उसके लिये कार्ये करना होगा। क्योकि पहला चरण जनता को स्वछता का मतलब समझना था और जनता को साथ जोड़ना था वो अब हो चुका है अब आपको अगले पड़ाव पर जाना होगा । नही तो ऐसे कैसे होगा स्वच्छ भारत अभियान पूरा।

-AC

Gurmit ram rahim .. baba ya dhongi



गुरुमीत राम रहीम सिंह ये नाम आज चर्चाओ में है। हरियाणा और आस पास के इलाके जल रहे है। कौन है ये एक बाबा, सिंगर, एक्टिर या ढोंगी? करोड़ो की संपत्ति का मालिक आलीशान जिंदगी कमांडो नाम से पाले हुए गुंडे। क्या ये बाबा है या आस्था का धंदा करने वाला एक और ढोंगी बाबा ।  प्यारी जनता भगवान में भरोसा रखो मगर अपने भरोसे के लिये यू ही किसी इंसान को भगवान मत बनाओ।
खुद को भगवान बताने वाले के चेलो का हैवान वाला कार्ये पूरा देश देख रहा है पंचकूला की सड़कों पर इनका तांडव क्या ये इंसानियत है। अगर किसी इंसान ने कुछ गलत किया तो उसे सजा मिलनी चाहिए और जनता को ऐसे गलत कार्ये करने वालो का समर्थन नही करना चाहिए।
एक और तो हमारी जनता किसी बलात्कारी को सज़ा दिलाने के लिये कैंडिल मार्च में मोमबती जलाते है और आज एक बलात्कारी को बचाने के लिये बसे जला रहे है।
कितना अजीब है ये की किसी को  कोर्ट से मिली सज़ा के खिलाफ सड़को पर तांडव है। उससे ज्यादा अजीब है कि सरकार और प्रसाशन क्या कर रही थी। जब सारे देश को आभास था तो क्या सरकार को कोई अंदेशा नही था।
लेकिन जब अफसर और सरकार इस बाबा के चरणों मे माथा टेकते हो तो क्या वो कुछ सख्त कर सकते है। इस बाबा की ताकत है उसका वोट बैंक इसके समर्थक जो इसके एक इशारे वोट डालते है।
शायद इसी कारण सरकार भी कुछ नही कर पायी।
मगर जनता क्यो पागल होती है ऐसे बाबो के लिये ये समझ पाना मुश्किल है। और ये बाबा भोली भाली जनता को बेवकूफ बना करोड़ो अरबो की संपत्ति खड़ी कर देते है।
सावल यही की जिमेदार कौन?

-AC


Train rail or derailed

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
Train rail or derailed

छुक छुक छुक रेलगाड़ी।
दौड़ी दौड़ी सरपट दौड़ी रेलगाड़ी।।
खुशियो की ये रेलगाड़ी , रेलगाड़ी।
दौड़ी दौड़ी सरपट दौड़ी रेलगाड़ी।।
अपनो को ये अपनो से मिलती।
खुशियो को ये पास लाती।।
छुक छुक करती जाती।
दूर दूर की सैर कराती।।
अहा ये क्या क्यो रोक गयी ये रेलगाड़ी।
बिखरे डब्बे जैसे ताश के पत्ते।।
लहू लुहान इतने क्यो सब हुए।
रोते बच्चे दर्द से करहाते लोग।।
किसकी ये गलती किसका है दोष।
मंत्री , अफसर या कर्मचारी।
किसकी  है  ये  जिम्मेदारी।।
है भूल या कोई साज़िश।
या तंत्र की लापरवाही।।
कौन सुनेगा किसे सुनाये।
दर्द अब अपना किसे बताये।
जाँच होगी , मुआवज़ा मिलेगा।
लेकिन बिछड़ा अपना वो कहा मिलेगा।।
प्रभु तेरे भरोसे थी एक उम्मीद जगाई।
तूने भी प्रभु भरोसे छोड़ दी रेल भाई।।
माना तूने जी जान लगाई।
मगर न बदल सका स्तिथि तो।
तो किस काम की वो है

-AC

Blue whale game - challenge or murder

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
Save your kids know about Blue whale game


Blue whale game, is it a challenge or a planned murder ? Recently we heard many news about this game. Many teenager are commuting suicide because of the challenge of blue whale game. Not only in India it is the problem world wide. But the point is that what government official are doing , why the don't ban this blue whale challenge? How this game is available to download? 

Now another question is that what is blue whale game? Blue whale game began in 2013 in Russia in a group of a social network.

In this game challenger or participants are given task by administration. There are around 50 task in blue whale challenge , like walk up at 4:20am , scratch a message on own arm, cut your lip, don't talk with any one all day and many more.

But now the question is that what the parants or guardian are doing ? They are not observing their kids.
Who is responsible for that?  kid , game , goverment or parant?

Please be aware? Take care of your kids, observe there activity, look what they are doing on mobile or net what kind of game they are playing.
Take care


Earth on fire Global warming & climate change

As we all know temperature of our earth is increasing every year .span of winter is reducing and span of summer is increasing. In summer temperature creating new highs every year.it is November, in India it is the time of winter but still we are not wearing woolen. All we say “ yaar abhi tak garmi nahi gyi” and in summer we say “ yaar is baar to garmi ne hadd kar di” but we never  ask question , why ?
Global warming is not the small issue. Global temperature is increased 1.7 °F since 1980 , Arctic Ice is decreasing 13.2 % per decade , land ice is decreasing 286 gigatonnes per year, and Sea Level is increasing 3.2 MM per year.These are the data given by nasa which shows the effect of this climate change on our earth.
But when we talk about climate change it doesn't mean only rise in temperature or global warming . It is sudden change in temperature due to rise in temperature in some region  we are seeing decrease in temperature also .Some area of earth are freezing due to sudden fall of temperature. Many studies and research suggest that record breaking cold in some region of earth are related to rapid Arctic warming . Due to global warming warm air is moving to the North due to which path of the air flowing form the North Pole is changed due to which causes cold Storm in many region.
 If we don’t take corrective measure this time our earth will be on fire. Before discussing what we can do, first we need to understand its cause and effect.
There are many reasons which cause global warming but major factor which affect it is greenhouse gases major source of which is human activities.

Many gases like carbon dioxide (CO2), methane (CH4), CFC  and nitrous oxide (N2O) are known as greenhouse gases .
 Industrial Revolution has increased the amount of greenhouse gases in the atmosphere,
Major human activities activities which produce greenhouse gases

Thermal electricity and heat production produces  carbon dioxide (CO2),
Road transportation produces carbon dioxide (CO2), methane (CH4),nitrous oxide (N2O)
Refrigeration and air conditioning equipment produces caloro faloro carbon(CFC)

What we can do?

Reduce use of electricity save as much as you can. It will help to reduce demand of electricity hence production of  (CO2)
Make it a habit of walking, or try to use bicycle of public transport as much as possible it will reduce production of  carbon dioxide (CO2), methane (CH4)nitrous oxide(N2O) and also improve your health.
Minimize use of  AC and refrigerator it will reduce the electricity bill and help to reduce production of CFC
Plant trees which will help to consume greenhouse gases.

Save earth help to reduce greenhouse gases, your little effort can make big difference
your comments and suggestions are invited.feedback

feedback

-AC

Choose best for India

India is the second most populous and the seventh largest (by area) country in the world, It is one of the world's oldest civilizations yet, a very young nation. India has more than 50% of its population below the age of 25 and more than 65% below the age of 35.

But most important point about India is that it is the world's largest democracy. in India every citizen above 18 year has right to vote if they are enroll to Vote.by casting their vote they can chose there policy maker.
If you are citizen of India and enrolled for voting go and check whether you have your name in voter list or not (click here to check).

There may be many factors which effect voting as religion, caste, regions, development, education, safety, employment, infrastructure etc.
But before choosing any of the above reason we should think about the future of our country and about our next generation.

 Keep your country first .choose the best for your country. vote for better education ,  vote for development, vote for better safety , vote for better infrastructure, vote for better transport ,vote for better electricity , vote for better water supply, vote for better economy, vote for better agricultural growth, vote for better job opportunities , choose best for your country. Vote for better India.


Don’t forget every single vote counts, your one vote can change the future of India .

Vote for better India, choose the best.

   -jai hind jai bharat

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what is 5 S and how to implement it at home or office

5 S


5S is a system for organizing space to perform work effectively and efficiently it can be applied at home or at office or in an organization.
When we go in the history of 5S , it began in Toyota motor company in 20th century as a part of lean manufacturing along with many other tools like kaizen, kanban, jidoka, poka yoke etc. This is also called  foundation of Toyota Production System. It started in Japan in Toyota but now accepted world wide by many company and organization . But the questions is, can we implement 5S at our home ? My answer is Yes why not , the main advantage of this system is that we can apply it at our home with no or less cost. But for that we need to understand the concept of 5S.

What is 5S ? 

The 5S methodology is a systematic approach to workplace/ organization. This method includes the five steps of Sort, Set in Order, Shine, Standardize, and Sustain.  

Five S are 5 Japanese word used to describe the steps of the 5S system. Each term starts with an S. In Japanese, the five S's are SeiriSeitonSeisoSeiketsu, and Shitsuke. In English, the five S's are translated as Sort, Set in Order, Shine, Standardize, and Sustain.  

What is it mean? 


Japanese WordEnglish WordExplenation 
SeiriSortingShort out materials and Remove all unwanted material. keep only items which needed to complete tasks. implement This action to all the operation and work of a work space to determine which are needed and which can be removed. Everything that is not required to complete a work process should be removed from the work area
SeitonSet in Orderall items should be organized and each item should have a designated place. Organize all the items according to their requirement on workplace so they make tasks easier for workers to complete. place items in such locations where people will not need to bend or make extra movements to reach them. and also locate them according to frequency of there uses as frequently used item near to work station 
SeisoShinekeep workplace areas clean. This means cleaning and maintaining the newly organized work space. It can involve routine tasks such as mopping, dusting, etc. or performing maintenance on machinery, tools, and other equipment.
SeiketsuStandardizeCreate a set of standards for both organization and processes. In essence, this is where you take the first three S's and make rules for how and when these tasks will be performed. These standards can involve schedules, charts, lists, etc.
ShitsukeSustain/ self discipline Sustain new practices and conduct audits to maintain discipline. This is achieved by developing a sense of self-discipline in employees who will participate in 5S. All the above activity should be followed at regular interval

How it can be implemented? 

To implement it first start with sorting of item . then set them in order than cleaning and then making standers and sustaining or self discipline 5S is not a list of action items that has to be done once or has to be reviewed at an interval. Instead, it has to be practiced as a daily activity, which requires concentration, dedication and devotion for sustaining it 

Steps involved in implementing of 5S

Seiri or Sorting-

removing unnecessary items


To start this Ask these questions:
1.Is this item needed?
2.If it is needed, is it needed in this quantity?
3.If it is needed, how frequently is it used?
4.If it is needed, should it be located here?
and remove all the unnecessary item

Seiton / Set in Order

1.Make sure that all unnecessary items are eliminated from the workplace.
2.Taking into account of the work flow, decide which things to put where.  
3.Use Why-why to decide where each item belongs. 
4.Make a clear list of items with their locations 
5.Identify all needed items with labels 

Seiso/ Shine

1.Adopt cleaning as a daily activity and as a part of inspection 
2.Find ways to prevent dirt 
3.Clean both inside and outside on daily basis
4.Keep a log of all places/areas to be improved 


Seiketsu, or Standardize

1.Check that the first three S’s are implemented properly 
2.All team activity documents/check lists should be publicly displayed on a 5S board
3.Make a routines and standard practices for regularly repeating the first three 5’s 
4. Create a maintenance system for housekeeping. Make a schedule for cleaning of the workplace.

Shitsuke, or Self-Discipline

1.
Everyone in the workplace should treat it they would their own home
2. Dedication, commitment, devotion and sincerity are needed in implementation of 5S on daily basis.
3. Inspections of first three S’s should be done and the results displayed  regularly.
4.Everyone must make it a part of their daily work.

with the help of these simple steps we ca implement 5 S in our organization or at workplace it can also be implemented at home also with the same steps it will help us to manage our daily work of help us to manage our kitchen items. or simply we can say we didn't need to waste time on find key on daily biases.