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भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

आखिर कब तक ...

जिंदगी मौत से हारी  ...
डर लगता है ,
जाने अब हो किसकी बारी ...
सोते सोते क्या वो ,
जागा गयी इस देश को ..
बस यही दुविधा है मन की ..
क्या अब कुछ बदलाव होगा ..
या बस सब यु ही खो जायेगा ..
फिर कही कुछ ऐसा होगा ..
और देश फिर हिल जायेगा ...
जिंदगी मौत से हारी  ...
डर लगता है ,
जाने अब हो किसकी बारी ...
आज कोई अनजाना था ..
जाने कब आ जाये अपनों की बारी ...
क्या तब जागेंगे हम ...
नहीं सह सकते अब ...
शासन परशासन तुम जगोगे कब ...
तुमको तो मिली सुरक्षा पूरी ...
मगर ये जनता क्या करे बेचारी ...
जिंदगी मौत से हारी  ...
डर लगता है ,
जाने अब हो किसकी बारी ...
-AC 

मै और वो ..

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan


मै और वो ..
मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
वो बालक छोटा सा नादान ....
वो छोटा बच्चा ,दिल का सच्चा ...
मगर जीवन की सच्चई से अनभिज्ञ ...
मै अनुभव के पिटरो में,
भूतकाल की पीड़ा को समेटे ...
      मै और वो ..
      मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
      वो बालक छोटा सा नादान ...
      आसमान में उमड़े बादल को देख ...
      वो भी समझा, मै भी जाना ...
      अब बारिश जम के बरसेगी ...
      वो मन में बहुत उत्साहित ,
      चहेरे पर छाई मुस्कराहट उसके ...
      मै सहमा घबराया सा ,
      मस्तक पर मेरे चिंता की रेखाये ..
मै और वो ..
मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
वो बालक छोटा सा नादान ..
वो कागज के टुकड़े ढूडता ..
आपनी नाव बनाने को ...
मै घास फ़ुस और तिनके ढूडता ..
अपनी छत बचाने को ...
      मै और वो ..
      मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
      वो बालक छोटा सा नादान ..
      वो खुश फिर पानी भरेगा,
      जिसमे वो आपनी नाव चलायेगा ..
      मै दुखी अगर पानी भरा अबके तो ,
      मेरा कच्चा घर ढह जायेगा ....
मै और वो ..
मै अधेड़ उम्र इन्सान ..
वो बालक छोटा सा नादान ..

-AC 

वो छोटे बच्चे


सूरज आसमा से गायब था ....
चारो ओर धुंध का साया था...
गरम कपड़ो में लिपटे हुए ...
चाय की चुस्की लेकर ,
जैसे ही कुछ गरम पकोड़े खाए ....
खिड़की से बहार,सड़क के दुसरे किनारे पर ..
कुछ धूंदले से हिलते हुए चेहरे नजर आए ...
आँखों को गड़ाकर , धुंध के पर्दों के पार झाका ...

उस कडकती सर्दी में कुछ छोटे बच्चे ...
फटे हाल अर्ध नग्न अवस्था में ...
नंगे पाँव , कचरे के ढेर पर ...
पीठ पर कचरे का बोरा ...
हाथ कचरे के ढेर से कचरा बिनते ...
ठंडी हवाओ से जूझते ..
दो वक़्त की रोटी की तलाश में ...
दिन भर सड़क पर भटकते वो छोटे बच्चे ...

साँझ को ऑफिस से वापस आते ..
घर को जाने की जल्दी में  ..
फिर सड़क के किनारे फूटपाथ पर ...
एकाएक अपनी ओर धयान खीचते ...
वही कचरा बिनने वाले छोटे बच्चे ...

शिक्षा से दूर ,सड़क पर भटकने को मजबूर ..
विकास के वादों को ठेंगा दिखाते ...
सर्वशिक्षा अभियान  को भी झूठा बताते ...
दिनभर कचरे के ढेर पर बिताकर ....
साँझ को सड़क के किनारें बने फूटपाथ पर ...
खुले आसमान के साये में ...
सिकुड़ कर एक छोटे से कम्बल के टुकड़े में ...
सोने की कोशिश करते, सुबहे के इन्तजार में ...
सड़क पर रात बिताने को मजबूर वो छोटे बच्चे ...


दिन भर की थकान से चूर ..
नाईट बल्ब की हलकी रोशनी में ...
सोने के लिये जैसे ही आंखे बंद की ...
फिर से आँखों के सामने आते ...
कचरा बिनने के लिए भटकते वो छोटे बच्चे ..
अंतरात्मा को झंझोड़ते, सोचने पर मजबूर करते ..
किस जात के है ये, क्या धर्म है इनका ...
क्यों नहीं कोई नेता आता ....
इनके लिये कोई आरक्षण क्यों नहीं मागता ...
कोई इन्हें वोट बैंक क्यों नहीं बनाता  ....
क्यों नहीं किसी को याद आते ...
इसी देश के नागरिक वो छोटे बच्चे ...



एक सवाल

एक बार फिर जनता सडको पर है ...
एक बार फिर दिलो में आक्रोश  है ...
मुद्दा अलग है ,पर सवाल वही है ...
आखिर हो क्या रहा है ...
आखिर हमारी सरकार कर क्या रही है ...
किस मुह से ये नेता वोट मागते है ....
जनता को शौक नहीं है सडको पर आने का ....
वो तो चैन से अपने घरो मे रहना चाहती है ..
मगर वो चैन है कहा ....

हर बार, बार बार ,जनता कब तक चिलाएगी ...
क्या हमारा शासन प्रसाशन कभी जागेगा ...
क्या उन्हें देश की कोई चिंता है ...
हर बार एक नये आश्वाशन के साथ ...
जनता अपने घर चली जाएगी ...
समाधान के इंतजार में ....
एक सवाल के साथ ...
आखिर कब तक ...
कब तक यही चलता रहेगा ?????

-AC

जिंदगी एक कहानी...

जिंदगी एक कहानी...
लहरों मे फसी  कश्ती...
 उससे  टकराता पानी ...
जिंदगी एक कहानी।
             मंजिल किनारा , साहरा पानी...
             बीच मझदार डुबाता पानी ...
             लहरों मे फसी  कश्ती...
              उस से  टकराता पानी ...
लहरे आती है , फिर वही समाजाती है...
उनसे लड़ना और आगे बढ़ना ..
जिंदगी की यही रवानी ..
जिंदगी एक कहानी।
             हमसफ़र है तेरा कोई ...
             तो तू  बड़ा खुसनसीब है....
            है तन्हा तो ये तेरा नसीब ..
           पर तुझको भी ये है जिंदगी बितानी...
           जिंदगी एक कहानी।
जाने कौनसी लहर उठकर  ये कश्ती डूबा दे...
जाने कौनसी लहर मोतियो की बौछार ला दे ..
बस यही सोच कर हर लहर है अपनानी ..
 जिंदगी एक कहानी।

लहरों मे फशी कश्ति..
 उस से  टकराता पानी ...
जिंदगी एक कहानी।


AC

राजनीती का सच


इलेक्शन का जोर था ..
चारो ओर नेताओ का शोर था ...
हर तरफ नेताओ क बेंनर व झंडे थे...
वोट माग रहे थे वो जिनके हाथो  में  बड़े बड़े डंडे थे ...
इसे  में मेरे भी मनं में नेता बनने का ख्याल आया ...
मैंने एक धुरंदर नेता को अपना गुरु बनाया ....
गिरकर चरणों में मैंने कहा ...
गुरुवर सिखाओ हमे भी राजनीती का गुण...
बन क नेता हम भी कमाए जनसेवा का पुन...
सुन इतनी बात वो मुझपर चिलाये...
बनना है नेता तो जनसेवा को भूल जाओ...
ओर करनी है जनसेवा तो राजनीती से दूर जाओ ....
मैने कहा माफ़ करो सरकार ....
सिखाओ राजनीती करो मुझ पर उपकार....
शांत हो गुरूवर बोले-
बेटा बनना है नेता तो मान मेरा कहना...
सच्चाई  ईमानदारी को भूल जाओ ...
झूट ओर बईमानी से हाथ मिलाओ...
भूल कर भी कभी सच ना कहना...
झूटे वादे करना बड़े बड़े ...
दे कोई गाली तो सुनना चुपचाप खड़े खड़े ...
मगर जीतने के बाद जनता क सामने न आना...

मगर गुरूवर ऐसे मिले तो में अगला इलेक्शन हार जाउगा..

नहीं बेटा अगली बार फिर से नए वादे लाना ...
अपने में अच्छाई न  मिले तो विपक्षी की कमिय बताना....

और फिर भी काम न चले तो ...
दारू , रुपीये और डाँडो से वोट कमाना ...
और फिर से जीत जाना ...
और फिर से जीत जाना ...

AC

azadi ki nayi jang

अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
उठो देश के नौजवानों..
अपनी शक्ति को पहचानो..
बदल  रहा  है  देश ये  आपना …
तुम  भी  इसमें  साथ  निभाओ …
हमने  ना   देखी  जंग   आज़ादी  की …
हमने ना देखा  गाँधी  को…
लोकपाल   की जंग  है देखी …
हमने तो  देखा अन्ना  की अंधी  को…
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
जात  पात  के टूटे बंधन …
सबको  दिखता  बस  एक  वतन …
भरष्ठाचार   से  पानी  मुक्ति …
लोक पाल दिकती एक युक्ति …
जुड़  गये  अब  लोग  है सारे ..
हिल  गयी  है अब ये सरकारे …
आओ  हम  सब  भी मिल  कर  एक नया  आगाज़  करे ….
जनहित  के  इस  आन्दोलन  में  अपना सहयौग आज  करे …
अभी नहीं..तो, कभी  नहीं..
AC

hope to win...


                    A ray of hope...

              gives u lot of scope....

                     hope is the key.....
          which convert u and me, in to V ....

                  if u have hope...
                          u can rock....

                       hope is the air....
                    which make us fly...

                      hope hope hope.....
                      success nonstop....

                        hope is a path...
                       its a shower' s bath...
                         it gives u all d tool....
                       makes u super coool.....


                            so hope is jaruri.....
                   it makes all ur wishes puri...

2.world cup 2011
खेलो  रे जी जान से खेलो रे ....
जीत लो हर बाज़ी को जीत लो रे अब जीत लो रे ....
खेलो रे जी जान से खेलो रे ....
बढ़ाना है अब शान  से ....
दोरहना है फिर इतिहास को ...
लहराना है तिरंगे को एक बार फिर....
बस जीत लो हर बाज़ी को जीत लो रे ...
दिखाना है अब दुनिया को....
जीतना है हर बाज़ी को अब हमे .....
जीत लो जीत लो जीत लो रे ............

इंडिया इंडिया इंडिया आआआआआआआआआआआआ जीत लो


जीवन

जीवन एक संगर्ष है..
संगर्ष ही जीवन है....…
हमको तो आगे बढना है.. 
हर मुस्किल से लड़ना है...
झुकाना नहीं रुकना नहीं....
हमको अब थकना नहीं...
वाव्धाये  हो  बधए   हो …
सबको हमे हराना है …
कष्टों की अंधी आये....
 या दुखो  का पहर गिरे ….
मंजिल को हमे पाना है..
हमको तो बड़ते जाना है...
रहा है कठिन बहुत  ….
मंजिल भी अभी दूर है...
पर पायेगे मंजिल को ...
इतनी तो हम में ताकत है 
लड़कर  हर कठनाये से  उनको हमे  हराना  है  …
मंजिल को तो पाना है....
जीवन के इस संगर्ष को..
 अब तो गले लगाना है...
अब  तो चलते जाना है ...


AC

हम सब है भारतवाशी


तू बंगाली, मै गुजरती ..
तू मराठी, मैं बिहारी ...
क्यों टुकडो में बट गयी ये भारत की जनता प्यारी ...
एक माँ है भारती ...
एक धर्म है हिंदुस्तानी ....
भाई भाई की जान का प्यासा ...
खून बहाते जैसे पानी ...
कोई जरा इन्हें समझाये .....
आईना सच का इन्हें दिखाये ...
क्यों ये झूठ के जाल में फसे ...
बन कटपुतली हाथो की इन नेताओ के ...
क्यों ये अपनों का खून बहाए ....
अब तो जागो ,समझो मेरे प्यारे देश के लोगो ....
यूँ ना इस भारत माँ को बाटो .....
तुम भी हो लाल इसके .....
वो भी है लाल इसी के ...
यूँ ना अपने ही भाई का सिर काटो ...
ना तू बंगाली ..ना मैं गुजरती ....
ना तू मराठी ..ना मैं बिहारी ...
सब से पहले हम सब है भारतवाशी ...

-AC

नवयुग

"नव  भारत  के  निर्माण  को …
नवयुग   के आगाज   को …
अब  कुछ  कर  दिखाना  है …
फिर  एक  धर्म  युद्ध  अब  लड़ना  है…
फिर एक बार  अपने   है विरुद्ध  हमारे …
इस  बार बिना  हथियार  ..एक नया  महाभारत  होना  है…
स्वयं  अर्जुन स्वयं  बन  कृषण, गीता  को अब दोहोराना  है…
नव भारत के निर्माण को…
नवयुग  के आगाज को…
अब कुछ कर दिखाना है…
तुम  भी  चलो , हम  भी चले ..ना  तुम  रुको , ना  हम थके …
मुश्किल  आएगी  पर  ना हम रुके …
 ववधाये हो , बाधाये   हो , सर  कटे , पर ना झुके …
अब हमको  बढ़ते  जाना  है…
दुनिया  को अब दिखाना है…
नव  भारत  के  निर्माण  को …
नवयुग  के आगाज   को …
अब  कुछ  कर  दिखाना  है …
"
AC