भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादित किया गया है।हमारे ऋषियो को अगर प्राचीन समय का वैज्ञानिक कहा जाये तो ये अतिशयोक्ति नही होगी। परन्तु आधुनिकता की दौड़ और स्वयं को विकसित कहलाने की होड़ में हमने अपने उस प्राचीन दर्शन को किनारे कर दिया जबकि वो एक महान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण दर्शन हैं।
अगर हम उस वैज्ञानिक दर्शन को समझकर उसका सहारा आधुनिक विज्ञान के विकास में ले तो हम भारतीय दर्शन के गूढ़ ज्ञान की सहायता से विज्ञान के नये आयामो को प्राप्त कर सकते है।
आज हम भारतीय दर्शन के एक सिद्धान्त की चर्चा आधुनिक विज्ञान के परिपेक्ष में करगे।
वो सिद्धान्त है प्रकृति और पुरूष का सिद्धान्त-
1.आधुनिक विज्ञान कहता है के ब्रह्माण्ड के सभी पदार्थों/ मैटर (matter) का निर्माण atom से हुआ है आधुनिक विज्ञान ने ये सिद्धान्त 18 वी शताब्दी में दिया वैसे तो यही सिद्धान्त 500 B. C. में महर्षि कणाद ने भी दिया था जिसमे उन्होंने उस तत्व को परमाणु कहा था।
परन्तु हम इससे भी पहले की बात कर रहे है संख्या दर्शन ने सभी पदार्थों के निर्माण का कारण प्रकृति को बताया। अगर हम कहे atom, परमाणु, प्रकृति एक ही चीज के नाम है तो ये गलत नही होगा क्योकि सभी सामान गुणों की ओर संकेत करते है।
2.भारतीये दर्शन के अनुसार प्रकृति त्रिगुणात्मक है जिसके तीन गुण है
रजोगुण, तमोगुण, सत्वगुणयहाँ गुणों का अर्थ विशेषता नही है ये प्रकृति के ही भाग है।
आधुनिक विज्ञान में atom या परमाणु के तीन भाग है
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन
3. रजोगुण की प्रवृत्ति गत्यात्मक है अर्थात ये सदैव गतिमान है आधुनिक विज्ञान के अनुसार इलेक्ट्रॉन भी सदैव गतिमान रहता है।
तमोगुण में भार होता है , यह स्थिरता प्रदान करता है और रजोगुण के विपरीत गुणों वाला है।
अगर हम प्रोटॉन की बात करे तो ये इलेक्ट्रान के विपरीत गुणों वाला है एक धनात्मक है दूसरा ऋणात्मक । प्रोटोन इलेक्ट्रान को उसकी कक्षा में बाधे रखता है क्योंकि दोनों विपरीत आवेशित है अतः ये परमाणु को स्थिरता प्रदान करता है। इलेक्ट्रान का भार नगण्य होता है और उसकी तुलना में प्रोटोन में भार होता है।
तीसरा सत्वगुण जो तटस्थ होता है यह तमोगुण और रजोगुण की साम्यावस्था को बनाये रखता है।
न्यूट्रोन में भी कोई आवेश नही होता यह नाभिक में प्रोटॉन के साथ रहकर नाभिकीय बल उतपन्न करता है और प्रोटॉन को नाभिक से बांधे रखता है और इलेक्ट्रान और प्रोटॉन के बीच साम्यावस्था बनाये रखता है इसी कारण विपरीत आवेशों के होने के बाद भी इलेक्ट्रॉन -प्रोटॉन एक दूसरे की और अकर्षित होकर आपस मे नही टकराते।
4. भारतीय दर्शन के अनुसार प्रकृति स्वयं से कुछ नही करती परंतु जब वो पुरुष के संपर्क में आती है तो उसकी साम्यावस्था भंग होती है और पदार्थ और सृस्टि का निर्माण होता है।
आधुनिक विज्ञान ने भी 2013 में एक परिकल्पना का प्रयोगात्मक सत्यापन किया जिसके अनुसार अलग अलग परमाणुओं को आपस मे जोड़कर अणु को जन्म देने और पदार्थ के निर्माण के पीछे एक और तत्व है जिसे उन्होंने नाम दिया " हिग्स बोसॉन " ये हिग्स बोसॉन परमाणु के लिए वही कार्ये करता है जो प्रकर्ति के लिए पुरूष।
5. भारतीय दर्शन में पुरूष का अर्थ आत्मा से होता है अर्थात आत्म तत्व को पुरूष कहा जाता है और यह आत्मा परमात्मा का अंश होती है।
आधुनिक विज्ञान में भी नए खोजे गए तत्व हिग्स बोसॉन को गॉड पार्टिकल (god particle) कहते है अर्थात आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी वो ईश्वर का अंश है।
तो अभी तक जो हमने जो समझा क्या वो महज इत्तेफाक है या जो आज आधुनिक विज्ञान जान रहा है वो हमारे ऋषियों को पहले से पता था। जिसे उन्होंने भारतीय दर्शनो में समझाने का प्रयास किया। तो ऐसा क्या था उनके पास जो वो उन तथ्यों को भी जानते थे जिसे आधुनिक विज्ञान अभी तक समझने का प्रयास कर रहा है तो क्यो न हम कहे के उस समय का विज्ञान आज के विज्ञान से कही ज्यादा विकसित था। परन्तु अपनी अज्ञानता के कारण हम उसे अवज्ञानिक मानकर नकार देते है जबकि आवश्यक है उन भारतीय दर्शन के सिद्धांतों पर शोध करने की ताकि उस महान ज्ञान के द्वारा हम आधुनिक विज्ञान को अधिक विकसित कर सम्पूर्ण जगत को लाभ पहुचा सके।
मेरी बातों पर विचार कीजिए और इसमें निहित विचारो को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये।
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भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान
क्या कपालभाति प्राणायाम है?
कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
आज के समय मे कपालभाति को प्राणायाम के रूप में अत्यधिक प्रचलित किया जा रहा है जिसमे श्वास को तेजी से बाहर की ओर फेका जाता है। क्या वास्तव में ये प्राणायाम है? कुछ बड़े योगा गुरु भी इसे अत्यधिक प्रचारित कर रहे है जो कभी कभी मूर्खतापूर्ण प्रतीत होता है।
इसको समझने के लिए हमे सबसे पहले प्राणायाम को समझना होगा कि आखिर प्राणयाम है क्या?
" प्राणस्य आयाम: इति प्राणायाम:”
जिसका अर्थ है की प्राण का विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है | साधारण शब्दों में समझे तो प्राणों का लंबा करना अर्थात श्वास - प्रस्वाश का जो चक्र है उसके समय को बढ़ाना परन्तु जिस क्रिया को कपालभाति प्राणायाम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है उसमें हो क्या रहा है।
अब हम योग के सबसे प्रमाणिक ग्रंथ पतंजलि योग सूत्र में प्राणायाम को परिभाषित करते हुए क्या कहा गया है उसे जानते है।
" तस्मिन्सति श्वास प्रश्वास योगर्ती विच्छेद: प्राणायाम: "
अर्थात आसन की सिद्धि होने के बाद श्वास – प्रश्वास की जो गति है उसे विच्छेद करना | यह भी उसी पूर्व के अर्थ की और संकेत करता है
इसका अर्थ है श्वास की गति को तेज करना किसी भी प्रकार से प्राणायाम नही है वह जो भी क्रिया हो वह प्राणायाम तो नही।
अब आते है दूसरे विषय पर कि क्या ये श्वास की गति को तेज करना कपालभाति है तो इसके लिए हम जानना जरूरी है कि कपालभाति है क्या कपालभाति शब्द का उल्लेख घेरण्ड सहिंता में मिलता है घरेण्ड सहिंता महर्षि घरेण्ड रचित हठ योग का एक ग्रंथ है जिसमे षट्कर्म के अंतर्गत इसका वर्णन है।
वो 6 क्रिया है
1.धौति 2.वस्ति 3. नेति 4.लोलिकी 5. त्र्याटक 6. कपालभाति
तो घरेण्ड सहिंता में कपालभाति का जो वर्णन है अब उसे भी जान लेते है।
" वातक्रमेण व्युत्क्रमेण शीत्क्रमेण विशेषतः ।
भालभातिं त्रिधा कुर्यात्कफदोषं निवारयेत् ।। 55।। "
भावार्थ :- भालभाति ( कपालभाति ) क्रिया के वातक्रम, व्युत्क्रम व शीतक्रम नामक तीन विशेष प्रकार हैं । जिनका अभ्यास करने से साधक के सभी कगफ रोगों का निवारण ( समाप्त ) हो जाता है ।
घेरण्ड संहिता में कपालभाति क्रिया के तीन प्रकारों का वर्णन किया गया है । जिनका क्रम इस प्रकार है :-
1. वातक्रम कपालभाति, 2. व्युत्क्रम कपालभाति, 3. शीतक्रम कपालभाति ।
1. वातक्रम कपालभाति
" इडया पूरयेद्वायुं रेचयेत्पिङ्गलया पुनः ।
पिङ्गलया पूरयित्वा पुनश्चन्द्रेण रेचयेत् ।। 56।। "
भावार्थ :- इड़ा नाड़ी ( बायीं नासिका ) से श्वास को अन्दर भरें और पिंगला नाड़ी ( दायीं नासिका ) से श्वास को बाहर निकाल दें । फिर पिंगला नाड़ी ( दायीं नासिका ) से श्वास को अन्दर भरकर इड़ा नाड़ी ( बायीं नासिका ) से श्वास को बाहर निकाल देना ही वातक्रम कपालभाति होता है ।
2.व्युत्क्रम कपालभाति
" नासाभ्यां जलमाकृष्य पुनर्वक्त्रेण रेचयेत् ।
पायं पायं व्युत्क्रमेण श्लेषमादोषं निवारयेत् ।। 58। "
भावार्थ :- नासिका के दोनों छिद्रों से पानी को पीकर मुहँ द्वारा बाहर निकाल दें और फिर उल्टे क्रम में ही मुहँ द्वारा पानी पीकर दोनों नासिका छिद्रों से पानी को बाहर निकाल दें । इस व्युत्क्रम कपालभाति द्वारा साधक के सभी कफ जनित रोगों का नाश होता है ।
3.शीतक्रम कपालभाति
"शीत्कृत्य पीत्वा वक्त्रेण नासानालैर्विरेचयेत् ।
एवमभ्यासयोगेन कामदेवसमो भवेत् ।। 59।। "
भावार्थ :- शीत्कार की आवाज करते हुए मुहँ द्वारा पानी पीकर नासिका के दोनों छिद्रों से बाहर निकाल दें । यह प्रक्रिया शीतक्रम कपालभाति कहलाती है । इसका अभ्यास करने से योगी का शरीर कामदेव की भाँति अत्यंत सुन्दर हो जाता है ।
अब अगर हम समझे तो इस हिसाब से तो श्वास को तेजी से बाहर फेकने वाली क्रिया कपालभाति भी नही है।
तो अब यही निष्कर्ष निकलता है कि तेजी से श्वास फेकना ना तो प्राणायाम है ना ही कपालभाति अब जो इसे प्राणायाम कह रहे है उन्ही से सवाल पूछना होगा कि वो इसे किस आधार पर ऐसा कह रहे है।
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1952 में पहले आम चुनाव के बाद ही राज्यपाल के पद का दुरुपयोग शुरू हो गया. मद्रास (अब तमिलनाडु) में अधिक विधायकों वाले संयुक्त मोर्चे के बजाय कम विधायकों वाली कांग्रेस के नेता सी. राजगोपालाचारी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो उस समय विधायक नहीं थे.
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Know EPF, Employees' Provident Fund
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन सरकारी और गैरसरकारी दोनों कर्मचारियों के भविष्य को सुनिश्चित करने के उदेश्य से बना एक संगठन है।
कर्मचारी भविष्य निधि कार्यालय के पास उन सभी कार्यालयों और कारखानों को रजिस्टर करना पड़ता है जहाँ पर 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं | तथा आज के समय मे अगर आपका बेसिक 15000 से कम है तो EPF में शामिल होना अनिवार्य है। जब भी आप किसी ऐसी संस्था में काम करते है जो EPFO के साथ पंजीकृत है | और आपकी तनख्वाह 15000 से कम है तब आपकी तनख्वाह का 12% काट कर epf में जमा किया जाता है, और साथ ही आपकी तनख्वाह का 12% जिस कंपनी या संस्था में आप काम करते हैं उनको EPFO में जमा कराना पड़ता है | मगर यहाँ पर एक बात गौर करने वाली है की आपकी तनख्वाह से कटा हुआ 12% तो पूरा आपके EPF खाते में चला जाता है | लेकिन आपके कंपनी द्वारा 3.67% EPF में और 8.33% EPS (Employee Pension Scheme) में चला जाता है | और माना यदि आपकी बेसिक 10000 है तो आपकी कंपनी या नियोक्ता द्वारा 10000 का 8.33% यानि की 833 रु EPS में जमा किया जायेगा बाकी 367 रु EPF में चला जायेगा | यानी कुल 1200+367= 1567 EPF में और 833 EPS में जायेगा।
EPFO के एम-सेवा ऐप के ज़रिए पीएफ बैलेंस जांचने का तरीका
कर्मचारी चाहें तो ईपीएफओ के ऐप से भी पासबुक या पीएफ बैलेंस की जांच कर सकते हैं। EFPO सब्सक्राइबर को सबसे पहले MEMBER पर क्लिक करना होगा। इसके बाद Balance/Passbook और फिर UAN नंबर और पासवर्ड पर। फिर बैलेंस आपके सामने होगा।
वैसे तो इस पैसे का उदेश्य आपके भविष्य को सुरक्षित करना होता है और यह आपके सेवानिवृत होने के बाद के लिए होता है नौकरी करते समय ईपीएफ का पैसा निकलने की इजाजत नहीं होती,परन्तु कुछ खास जरूरतों के लिए EPF की रकम निकाल सकते हैं लेकिन ऐसे खास मौके पर भी ईपीएफ की कुछ राशि ही निकाली जा सकती है, इसके तहत आप पूरी राशि नहीं निकाल सकते। आप कब पैसा निकाल सकते है